कृपया इसे पढ़कर जिला फोरम और राज्य आयोग से पूछें कि इस पत्र में लिखे जानकारी के अनुसार बिजली जांच में अवैधानिक विद्युत उपयोग का कोई मामला नहीं बनता,
उन महानुभावों से जिसे महानुभाव कहें या महामूर्ख से करें सम्बोधन,
उसने अपने आदेश पत्र में उपभोक्ता का किस आधार पर बिजली चोरी माना।
एक स्वयं सेवी संस्था प्रमुख ने
आप महानुभावों पर गंभीर सवाल उठाए हैं जो आपको अपमानित करने जैसा है,
आप उस संस्था प्रमुख पर क्या कोई कार्यवाही करेंगे।
उसने आप सभी को मूर्ख तक का संज्ञा देकर सम्मानित किया है।
कृपया उनसे स्पष्टीकरण, प्रतिक्रिया लेकर समाचार प्रकाशित करने का कष्ट करें।
सच्चाई सामने आए हमें आप सभी पर गर्व होगा।
देश के हमारी सर्वश्रेष्ठ चौथा स्तंभ को सादर प्रेषित।
ऊपर 4 पेज और भेज रहा हूं ताकि हमारे देश के प्रमुख सूचना प्रकाशकों को कोई शंका न रहे।
कपया सहयोग प्रदान करें।
आपका छोटा सा प्रयास देश और समाज को नई दिशा देने में सहायक होता नजर आएगा।
संवैधानिक विश्वसनीयता की प्रतिष्ठा को बरकरार रखने हमारी निवेदन है।
इस पत्र ने बना दिया नारायण प्रसाद केशरवानी कोरबा को रामपुर पुलिस चौकी प्रभारी
क्योंकि 02.12.14 को रामपुर पुलिस चौकी प्रभारी ने नारायण प्रसाद को उनके आरटीआई पत्र के जवाब दिए गए जानकारी में –
19.01.13 जारी विद्युत वितरण कंपनी के उक्त पत्र को रामपुर चौकी प्रभारी को नहीं देकर उस पत्र में प्रेषित किए अनुसार नारायण प्रसाद केशरवानी कोरबा एल आई जी 241- को तत्कालीन रामपुर चौकी प्रभारी मानकर, उसे यह पत्र देकर एक बिजली चोरी पर कार्रवाई का मांग उठाया है।
यह सरकारी मजाक नहीं बल्कि विद्युत कंपनी और तत्कालीन कोरबा पुलिस अधीक्षक द्वारा 02.12.14 को प्रमाणित संदर्भित सत्य लगता है।
परन्तु रोचक प्रसंग और भी है तब 2013 से उक्त पत्र आधारित तत्कालीन पुलिस चौकी प्रभारी नारायण प्रसाद केशरवानी ने वर्तमान तक बिना सेलरी का अपना कर्तव्य पूरा करते आया है।
पंचशील कौशल सेवा संस्थान प्रमुख ने इसे एक गंभीर मुद्दा बनाया है।
और विभिन्न प्रेस को दिए ज्ञापन में इस पर आवश्यक कार्यवाही करने के लिए उक्त विश्वसनीय मांग रखा है।