हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान मिशन पर भेजे जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स के नामों का ऐलान किया। ये भारत का पहला मैन्ड स्पेस मिशन है। इस मिशन के जरिए भारत पहली बार 4 क्रू मेंबर्स को अंतरिक्ष में भेजेगा।

इस मैन मिशन में ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला शामिल हैं। ये सभी एस्ट्रोनॉट्स नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में पढ़े हैं और बेंगलुरु में इंडियन एयर फोर्स के एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम्स टेस्टिंग एस्टेब्लिश्मेंट (ASTE) के टेस्ट पायलट्स हैं।

एयरफोर्स के पायलट्स ने एस्ट्रोनॉट्स बनने के लिए बड़ी संख्या में एप्लिकेशन दी थी। इनमें से 12 ने सितंबर 2019 में पहले लेवल का सिलेक्शन प्रोसेस कम्पलीट किया था। कई स्टेज में हुए सिलेक्शन राउंड्स के बाद इन चारों पायलट्स को चुना गया है।

इस बार टॉप कॉलेज में जानेगें एस्ट्रोनॉट बनने के लिए जरूरी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन क्या है और किन कॉलेजों से स्पेस साइंस या एस्ट्रोफिजिक्स से जुड़े कोर्सेज कर सकते हैं..

सबसे पहले जानते हैं ISRO के एस्ट्रोनॉट प्रोग्राम के बारे में..

ISRO के एस्ट्रोनॉट प्रोग्राम में शामिल होने के लिए जरूरी एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया :

भारत के ISRO यानी इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन के जरिए एस्ट्रोनॉट्स बनने के लिए एस्ट्रोनॉट्स प्रोग्राम में अप्लाय कर सकते हैं।

  • इसके लिए इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी या मेडिकल साइंस में कम से कम 60% स्कोर के साथ ग्रेजुएशन की डिग्री होना जरूरी है।
  • इसके अलावा अगर आपके पास एरोनॉटिकल या एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स या PhD डिग्री हो तो आपको दूसरों के मुकाबले प्रीफेरेंस मिल सकता है।
  • इसके लिए 27 से 37 उम्र के कैंडिडेट्स अप्लाय कर सकते हैं।
  • इसके लिए मिनिमम हाइट 157 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
  • ऐसे कैंडिडेट्स जो ये एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया पूरी करते हों, उन्हें सिलेक्शन प्रोसेस यानी स्क्रीनिंग से गुजरना पड़ता है।
  • फाइनल सिलेक्शन के लिए कई तरह के फिजिकल, एकेडमिक और साइकोलॉजिकल टेस्ट भी लिए जाते हैं। इस दौरान सेप्स ट्रेवल के लिए जरूरी फिजिकल टेस्ट, ब्लड प्रेशर और ऑप्टिकल एक्युटी यानी आंखों का विजन टेस्ट किया जाता है।
  • अगर आप पायलट हैं और एस्ट्रोनॉट प्रोग्राम के लिए अप्लाय किया है, तो आपके पास कम से कम 1000 घंटे का पायलट इन कमांड टाइम और फ्लाइट एक्सपीरियंस होना चाहिए।