वैसे तो डायबिटीज अपने आप में बड़ी बीमारी है लेकिन यदि यह अनुवांशिकी हो जाती है तो एक से अधिक लोगों को प्रभावित करती है। इससे ही टाइप-टू डायबिटीज का खतरा पैदा हो जाता है। यह एक पुरानी स्थिति होती है जो शरीर द्वारा रक्त शर्करा (ग्लूकोज) को संसाधित करने के तरीके को प्रभावित करती है। टाइप 2 मधुमेह के साथ, शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है, या यह इंसुलिन का प्रतिरोध करता है। इसके लक्षणों में प्यास का बढ़ना, बार-बार पेशाब आना, भूख लगना, थकान और धुंधली दृष्टि शामिल हैं। कुछ मामलों में, कोई लक्षण नहीं हो सकता है। इसके उपचार में आहार, व्यायाम, दवा और इंसुलिन थेरेपी शामिल हैं।

दुनिया भर में डायबिटीज एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। प्रायः खराब जीवनशैली से होने वाली यह बीमारी आनुवंशिक भी होती है। रक्त में शुगर की मात्रा अनियत्रित हो जाने से यह जानलेवा भी बन जाती है। इस बीच, एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि डायबिटीज से पीड़ित महिलाएं गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाकर टाइप-2 डायबिटीज विकसित होने के खतरे को कम कर सकती हैं।

इन चीजों का रखें ध्‍यान

अध्ययन के अनुसार, यदि डायबिटीज पीड़ित महिला गर्भावस्था के दौरान जीवनशैली के पांच सूत्रों- पौष्टिक भोजन, शराब व धूमपान से परहेज, औसत वजन व नियमित व्यायाम का पालन करती है तो वह मोटापे या खतरनाक आनुवंशिक डायबिटीज से पीड़ित महिला की अपेक्षा टाइप-2 के खतरे को 90 प्रतिशत तक कम कर सकती है। नर्सेस हेल्थ स्टडी-टू में प्रकाशित इस अध्ययन का निष्कर्ष गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज से पीड़ित 4,275 महिलाओं के वजन और जीवनशैली पर किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला गया है।

स्वस्थ जीवन शैली के पांचों सूत्रों का पालन

अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि गर्भावस्था के दौरान जिन प्रतिभागी महिलाओं ने स्वस्थ जीवन शैली के पांचों सूत्रों का पालन किया उनमें 90 प्रतिशत तक टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कम देखा गया। यह एक आब्जर्वेशन पर आधारित अध्ययन है, इसलिए शोधकर्ता स्वीकार करते हैं कि डाटा व्यक्तिगत रिपोर्टों पर निर्भर करता है, जिसने सटीकता प्रभावित हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि उनका अध्ययन “”इस उच्च जोखिम वाली आबादी में टाइप-2 डायबिटीज की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसर पर प्रकाश डालता है।