दुनिया में कोरोना के कई नए वैरिएंट पाए गए हैं, जो ज्यादा संक्रामक साबित हो रहे हैं। ऐसे में यह बहस चल रही है कि क्या पहले ज्यादा संख्या में लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई जाए और दूसरी में विलंब किया जाए या दोनों खुराक लगाने में प्राथमिकता दी जाए? वैक्सीन को लेकर किए गए क्लीनिकल ट्रायल में वैक्सीन की दोनों डोज में चार हफ्ते का अंतराल रखने की सलाह दी गई थी। इसी सिलसिले में कनाडा की यॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अध्ययन में पाया गया कि वैक्सीन की पहली डोज लगवाने के बाद दूसरी में नौ से 15 सप्ताह का विलंब करने से संक्रमण, अस्पताल में भर्ती करने और मौत का खतरा कम हो सकता है। कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले में टीकाकरण को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसका कहना है कि व्यापक टीकाकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। कोरोना के खिलाफ मौजूदा वैक्सीन की पहली डोज के बाद दूसरी खुराक लेने में देर करने से संक्रमण का खतरा कम हो सकता है। वैक्सीन की दूसरी डोज में विलंब करना जनस्वास्थ्य के लिहाज से प्रभावी तरीका हो सकता है। अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता सेयेड मोगदास ने कहा, ‘हमारे अध्ययन के नतीजों से जाहिर होता है कि महामारी के प्रतिकूल परिणामों को कम करने के लिए वैक्सीन की पहली डोज का बड़े पैमाने पर वितरण करना अहम होगा।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसे में जब नए और ज्यादा संक्रामक वैरिएंट तेजी से फैल रहे हैं तो हमारे पास वैक्सीन के प्रभाव को लेकर अभी साफ तस्वीर नहीं है। वैक्सीन की दूसरी खुराक विलंब से लेने को लेकर अभी और अध्ययन की जरूरत है।’