रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि खादी कपड़ा नहीं बल्कि एक विचार है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने खादी को आजादी की लड़ाई का एक अस्त्र के रूप में इस्तेमाल किया था। महात्मा गांधी ग्राम स्वराज की कल्पना करते हुए वे चाहते थे कि हमारे गांव हर तरह से ताकतवर बनें। हम भी महात्मा गांधी की राह पर चलते हुए कारीगरों, बुनकरों, शिल्पियों का कौशल निखार रहे हैं। हर गांव एक उत्पादक और शहर विक्रय केन्द्र बनें। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि गांव स्वावलंबी और प्रदेश के लोग आत्मनिर्भर बनें।
मुख्यमंत्री ने इस आशय के विचार आज देर शाम पण्डरी छत्तीसगढ़ हाट बाजार में आयोजित 10 दिवसीय राज्य स्तरीय खादी तथा ग्रामोद्योग प्रदर्शनी में व्यक्त किए। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले बुनकरों और शिल्पकारों को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी की परिकल्पना के अनुरूप छत्तीसगढ़ में ग्राम स्वराज के सपने को साकार करने के लिए सुराजी गांव योजना लागू की गई। इस योजना के अंतर्गत गांव-गांव गौठान का निर्माण कर उन्हें ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण औद्योगिक पार्कों में छोटे-छोटे उद्यम स्थापित कर बुनकरों, शिल्पकारों, कारीगरों को रोजगार के बेहतर मौके दिए जा रहे हैं। उनके काम को निखारा जा रहा है और उन्हें बाजार की मांग के अनुरूप उत्पादन के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके लिए बजट में 600 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। जिससे यहां सर्वप्रथम पानी और बिजली की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा कि व्यापारी यहां के कास्तकारों को कच्चा माल उपलब्ध कराएं। शासन द्वारा यहां कार्य करने वालों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। कारीगर व्यापारी की डिजाइन अनुसार सामग्री तैयार कर उपलब्ध कराएंगे। इससे प्रदेश के लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा और वे आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि नवा रायपुर में वर्धा के सेवाग्राम की तर्ज पर सेवा ग्राम की स्थापना की जा रही है। यहां बुनकरों, शिल्पकारों और कारीगरों को अपने व्यापार को बढ़ाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह केन्द्र खादी के विकसित रूप में सामने आएगा और इस क्षेत्र में कार्य करने वाले को समृद्धि की ओर आगे बढ़ाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में इस वर्ष मुख्यमंत्री रेशम परियोजना शुरू की गई है। इस योजनांतर्गत एक हजार महिलाओं को चिन्हिंत कर उन्हें कोकून से धागाकरण का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस कार्य से यहां काम करने वाले महिलाओं को प्रति माह 6 से 7 हजार रूपए की आय होगी। उन्होंने कहा कि आगामी वित्तीय वर्ष में रेशम परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए रैली कोकून बैंक की स्थापना की जाएगी। प्रारंभ में 200 स्व-सहायता समूह को धागाकरण का प्रशिक्षण देकर कार्य सौंपा जाएगा।