चीन के विदेश मंत्री वांग यी पाकिस्तान के बाद अचानक से अफगानिस्तान पहुंचे हैं। वांग यी ऐसे वक्त में काबुल पहुंचे हैं जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने एक दिन पहले कक्षा 6 से आगे की लड़कियों के लिए स्कूल खोलने के तालिबान वादे तोड़ने पर चिंता और नाराजगी जताई है। अफगानिस्तान की बख्तर समाचार एजेंसी ने बताया है कि वांग तालिबान नेताओं के साथ राजनीतिक संबंधों, आर्थिक और ट्रांजिट सहयोग के विस्तार सहित कई मसलों पर बातचीत करेंगे।
तालिबान की आलोचना करने से बचता रहा है चीन
अगस्त 2021 में काबुल पर कब्जा करने के बाद से तालिबान अपनी इकॉनमी को खोलने के लिए दुनिया के देशों से सरकार को मान्यता देने की मांग कर रहे हैं लेकिन अब तक दुनिया के किसी भी देश ने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। चीन ने तालिबान सरकार को मान्यता देने के लिए कोई झुकाव नहीं दिखाया है लेकिन उसने नए शासकों की आलोचना करने से परहेज किया है।
काबुल दूतावास खोलेगा चीन?
अफगानिस्तान में चीन के आर्थिक हित हैं। अफगानिस्तान में लिथियम जैसे दुर्लभ खनिज के भंडार हैं और इस पर चीन की नजर है। चीन एक बार फिर से महत्वपूर्ण खनिजों के खनन को शुरू करना चाहता है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन काबुल में अपने दूतावास को फिर से एक्टिव कर सकता है। इस सबके साथ ही चीन को अपने वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए भी तालिबान की जरूरत है।
उइगर मुस्लिम पर तालिबान का साथ चाहता है चीन
रिपोर्ट्स बताती हैं कि बीजिंग उइगर विरोधियों को अफगानिस्तान में ऑपरेशन स्थापित करने से रोकने के लिए तालिबान की प्रतिबद्धता चाहता है। उइगर के पूर्वी तुर्किस्तान आंदोलन के सदस्य पिछले कई सालों से उत्तर पश्चिमी चीन में एक आजाद देश की मांग कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बीजिंग एक स्थिर अफगानिस्तान चाहता है ताकि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में जमकर निवेश कर सके और अपने प्रोजेक्ट्स को पूरे कर सके।