पटना। विधानसभा भवन के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर बनाए गए 40 फीट शताब्दी स्मृति स्तंभ का लोकार्पण करने पीएम नरेन्द्र मोदी मंगलवार की शाम बिहार आए। ढाई टन वजन के कांसे से बने स्तंभ के लोकार्पण के बाद संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि बिहार का यह स्वभाव है कि जो बिहार से स्नेह करता है  उसे यह राज्य कई गुना करके लौटाता है। उन्होंने कहा कि जब भी मैं बड़े वैश्विक मंच पर जाता हूं, तो गर्व से कहता हूं कि विश्व में लोकतंत्र की जननी हमारा भारत है, भारत मदर आफ डेमोक्रेसी है। पीएम ने कहा कि शताब्दी स्तंभ बिहार की कोटि-कोटि आकांक्षाओं का प्रेरणा देगा। मोदी ने कहा कि बिहार जितना समृद्ध होगा भारत की लोकतांत्रिक संस्कृति उतनी ही मजबूत होगी। पीएम ने कहा कि बिहार विधानसभा में एक से एक बड़े निर्णय लिए गए हैं। बिहार विधानसभा का अपना एक इतिहास रहा है और यहां विधानसभा भवन में एक से एक बड़े और साहसिक निर्णय लिए गए हैं। आजादी के पहले इसी विधानसभा से गवर्नर सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा ने स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने, स्वदेशी चरखा को अपनाने की अपील की थी।

पीएम ने कहा कि दशकों से हमें ये बताने की कोशिश होती रही है कि भारत को लोकतंत्र विदेशी हुकूमत और विदेशी सोच के कारण मिला है। लेकिन, कोई भी व्यक्ति जब ये कहता है तो वो बिहार के इतिहास और बिहार की विरासत पर पर्दा डालने की कोशिश करता है। जब दुनिया के बड़े भू-भाग सभ्यता और संस्कृति की ओर अपना पहला कदम बढ़ा रहे थे, तब वैशाली में परिष्कृत लोकतंत्र का संचालन हो रहा था। जब दुनिया के अन्य क्षेत्रों में जनतांत्रिक अधिकारों की समझ विकसित होनी शुरू हुई थी, तब लिच्छवी और वज्जीसंघ जैसे गणराज्य अपने शिखर पर थे। बिहार की गौरवशाली विरासत, पाली में मौजूद ऐतिहासिक दस्तावेज भी इसके जीवंत प्रमाण हैं। पीएम ने कहा कि बिहार ने आजाद भारत को डा. राजेन्द्र प्रसाद के रूप में पहला राष्ट्रपति दिया। लोकनायक जयप्रकाश, कर्पूरी ठाकुर और बाबू जगजीवन राम जैसे नेतृत्व इस धरती पर हुए। जब देश में संविधान को कुचलने का प्रयास हुआ, तो भी उसके खिलाफ बिहार ने आगे आकर विरोध का बिगुल फूंका।