नई दिल्ली। Commonwealth Games 2022: भारतीय पुरुष पहलवान बजरंग पूनिया ने 65 किलोग्राम भारवर्ग कुश्ती प्रतियोगिता के फाइनल में कनाडा के पहलवान लकलान मैकनील को चित करके भारत के लिए 22वें कामनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। फाइनल मैच में बजरंग पूनिया ने कनाडा के पहलवान को 9-2 से हराया। इससे पहले बजरंग ने अपने हर दौर के मुकाबले में जीत दर्ज की और लगातार जीतते हुए फाइनल मुकाबले को भी अपने नाम किया।

फाइनल मैच में बाउट की शुरुआत में ही 3-0 की बढ़त बना ली थी। इसके बाद उन्होंने विरोधी पहलवान को मैट से बाहर धकेल कर 4-0 की बढ़त बना ली थी। पहला राउंड यानी 3 मिनट का खेल खत्म होने के बाद उन्होंने अपनी बढ़त 4-0 की बढ़त बनाए रखी। दूसरे हाफ में कनाडा के पहलवान ने अटैक किया, लेकिन बजरंग ने खुद को पूरी तरह से डिफेंड किया, लेकिन तुरंत ही मैकनील ने उन्हें टेक डाउन करके 2 अंक अर्जित कर लिया। फिर बजरंग ने अटैक करते हुए उन्हें टेक डाउन करके दो अंक हासिल किया और बढ़त 6-2 की बना ली। बजरंग ने उन्हें मैट से बाहर करके एक अंक और अर्जित किया और वो 7-2 से आगे हो गए। दूसरे राउंड खत्म होने तक बजरंग ने बढ़त बनाए रखी और आखिरी क्षण में दो अंक और हासिल करके 9-2 गोल्ड जीत लिया। 

बजरंग पूनिया ने कामनवेल्थ में पूरी की मेडल की हैट्रिक

28 साल के बजरंग पूनिया ने इस बार गोल्ड मेडल जीतकर कामनवेल्थ गेम्स में अपने मेडल ही हैट्रिक भी पूरी की। इससे पहले बंजरंग पूनिया ने 2014 ग्लास्गो कामनवेल्थ गेम्स में 61 किलोग्राम भारवर्ग में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता था जबकि इसके बाद यानी साल 2018 में गोल्ड कोस्ट में उन्होंने 65 किलोग्राम भारवर्ग में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता था और अब एक बार फिर से साल 2022 में उन्होंने फिर से गोल्ड मेडल जीता।

बजरंग पूनिया की सफलता की फेहरिस्त काफी लंबी है और उन्होंने 2020 टोक्यो ओलिंपिक में भी भारत के लिए 65 किलोग्राम भारवर्ग में ब्रान्ज मेडल देश के लिए जीता था और सबको गौरवान्वित किया था। उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में 2918 में सिल्वर मेडल, 2013 और 2019 में ब्रान्ज मेडल जीता था। वहीं एशियन गेम्स में उन्होंने साल 2014 में सिल्वर मेडल जबकि साल 2018 में भारत के लिए गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। कामनवेल्थ चैंपियनशिप में उन्होंने 2016 और 2017 में गोल्ड मेडल जीता था। वहीं एशियन चैंपियशिप की बात करें तो उन्होंने 2017 और 2019 में गोल्ड मेडल जबकि 2014, 2020, 2021 और 2022 में सिल्वर मेडल तो वहीं 2013 और 2018 में ब्रान्ज मेडल जीता था।