इंदौर। इंदौर में जिला स्वास्थ्य अधिकारी के इस्तीफे से शुरु हुआ बवाल थमता नजर नहीं आ रहा है। डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा शुक्रवार से काम बंद हड़ताल के ऐलान से मचे हड़कंप के बाद प्रभारी मत्री के साथ हुई बैठक भी बेनतीजा निकली। मंत्री के माफी मांगने के बाद भी स्वास्थ्य कर्मी अपनी मांग पर अड़े रहे।
काम बंद हड़ताल की घोषणा के बाद मामले का हल निकालने के लिए रेसीडेन्सी कोठी में बैठक आयोजित की गई, जिसमें प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, विधायक रमेश मैसोला और संभागायुक्त पवन शर्मा और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे। सभी ने डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए कहा। प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट ने स्वास्थ्य अधिकारियों से कलेक्टर के बदले खुद माफी मांगकर डॉक्टरों को मनाने का प्रयास किया। लेकिन 2 घंटे तक चली बैठक में कोई भी निष्कर्ष नहीं निकला। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी कलेक्टर मनीष सिंह को हटाने की मांग पर अड़े रहे।
बाद में डॉक्टरों ने बंद कमरे में आपस में चर्चा की, जिसमें उन्होंने कलेक्टर को हटाने के साथ ही अपनी दो मांगे और सामने रखी है. अधिकारी कर्मचारियों ने साफ कर दिया कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाएगी, तब तक उनकी ओर से किसी भी तरह की स्वास्थ्य सेवाएं नहीं दी जाएगी।
जल्दी निकाला जाएगा हल- स्वास्थ्य मंत्री
उधर कलेक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों के बीच चल रहे विवाद पर स्वास्थ मंत्री प्रभु राम चौधरी ने कहा कि इलाज में कोई दिक्कत नहीं आएगी। समस्या का जल्दी निकाला जाएगा। प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट लगातार विवाद को सुलझाने में जुटे हुए हैं।
ये गए हड़ताल पर
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े तमाम संगठनों ने काम बंद हड़ताल को अपना समर्थन दिया है। जिले में होने वाले सभी तरह के टीकाकरण के काम बंद कर दिये गए हैं। 400 से ज्यादा नर्सों ने काम बंद कर अपना समर्थन दिया है। इसके साथ ही कोरोना टेस्ट को भी बंद कर दिया गया है।
जिले के टीकाकरण अधिकारी डॉ प्रवीण जड़िया ने बताया कि इंदौर में स्वास्थ विभाग द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाएं बंद कर दी गई है, जिसमें इंदौर में होने वाला कोविड- वैक्सीनेशन, आरटी पीसीआर टेस्ट, के साथ स्वास्थ विभाग द्वारा दी जाने सभी सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
ये हैं मांगें
स्वास्थ विभाग के अधिकारियों का और कर्मचारियों का साफ कहना है जब तक उनकी कलेक्टर को हटाने की मांग पूरी नहीं की जाएगी तब तक वे अपने काम पर नहीं लौटेंगे। स्वास्थ विभाग के अधिकारियों की तीन मांगे हैं, जिसमें पहली मांग इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह को हटाने की की गई है और दूसरी विभाग के किसी भी अधिकारी के साथ इस प्रकार का व्यवहार सहन नहीं किया जाएगा। तीसरी मांग डाटा मैनेजर अपूर्व तिवारी को हटाने की है। अपूर्व तिवारी जिला कार्यक्रम प्रबंधक का चार्ज दिया गया था। वे 3 महीने के कॉन्ट्रैक्ट पर थे लेकिन स्थाई स्थापना पर डीपीओ के पोस्ट पर पदस्थ किया गया है। मामले में अगली मीटिंग स्वास्थ विभाग के अधिकारियों की कमिश्नर कार्यालय में आयोजित होना है।
यह है मामला
डॉ पूर्णिमा गडरिया ने कल अपना इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने के बाद डॉ पूर्णिमा गाडरिया ने आरोप लगाया था कि कलेक्टर धमकी और बदतमीजी से व्यवहार करते हैं, जिससे आहत होकर उन्होंने इस्तीफा दे दिया है।