कोरबा। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के मीडिया ंिवंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजयोगी ब्रह्माकुमार ओमप्रकाश भाई जी के छठवीं पुण्यतिथि पर ब्रह्माकुमार रूकमणी बहन ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि भाई जी ने सभी को एक अच्छे मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। वे हमेशा नई-नई योजनायें बनाते रहते थे। उन्हें सदा नवीनता ही पसन्द थी। उनका स्वभाव सरल सीधा और सच्चा था। वे कभी भी धर्म का भेदभाव पसन्द नहीं करते थे। उनकी प्रात: सभा में सभी धर्मों के लोग आते थे। उन्होंने इन्दौर में आध्यात्मिक म्यूजियम बनाया। आपने देश-विदेश में जाकर आध्यात्मिकता की अलख जगाई। आपने कहा कि ओमप्रकाश भाई जी ने जो मानवता का वृक्ष सींचा और संवारा, वह आज फलीभूत होकर हराभरा और फलदायी हो गया है। जिसका लाभ हम सभी को मिल रहा है।
भ्राता शेखर राम अधिवक्ता ने कहा कि जिस तरह से ओम की महिमा अनंत है, उसी तरह से ओमप्रकाश भाई का जीवन चहुंमुखी विकसित और प्रभावशील था। आपने अनेकानेक आध्यात्मिक सम्मेलन, सेमिनार, प्रदर्शनी, शिविर और मीडिया के माध्यम जन जाग्रति लाई। भ्राता उदयनाथ साहु उ.व.शिक्षक ने कहा कि भाई की प्रेरणा से ही छत्तीसगढ़ में अनेकानेक सेवाकेन्द्रों की स्थापना हुई। ऊर्जा नगरी कोरबा में उनका कई बार आना हुआ। उनसे मिलकर एक नई स्फूर्ति का संचार होता था। कोई भी कार्य को वे व्यवस्थित और सुचार रूप से करते थे। भ्राता कौशल कुलमित्र उ.व.शिक्षक ने कहा कि भाई जी के बतलाये गये मार्ग और धारणाओं पर चलना ही भाईजी को सच्ची श्रद्धान्जली अर्पित करना है। डॉ.ए.पी.पाण्डेय ने कहा कि भाई जी के सानिघ्य में अधिक समय बिताया है। आप किसी भी कार्य को अपना समझकर करते थे तथा सभी के प्रति अपनत्व की भावना रखते थे। एक हंसमुख चेहरा अनेक प्रष्नों से पार ले जाने वाला होता था। छोटे बड़े सभी के प्रति उनका समान भाव और व्यवहार रहता था। बह्माकुमारी बिन्दु बहन ने कहा कि एक मात-पिता के रूप से मुझे उनकी पालना मिली हैं। छोटी-छोटी बातें भी उन्होंने हमें सिखलाईं। आज 600 बहनों की फुलवारी जो उन्होंने सीचीं और संवारी, वे समर्पित रूप से मानवता की सेवा में सतत् तत्पर हैं। दिव्य कन्या छात्रावास भी उन्होंने के द्वारा ही, सफलता पूर्वक स्थापित और संचालित किया गया।