नई दिल्ली। संसद का बड़ा काम यूं को नियम कानून बनाना है लेकिन राजनीति इतनी हावी होती है कि खुद के बनाए नियम परंपराओं को भी बार बार तोड़ा जाता है। दो दिन पहले ही सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच का गतिरोध तब टूटा था जब सदन में प्लेकार्ड दिखाने पर निलंबित हुए विपक्ष के चार सदस्यों को वापस सदन में आने की अनुमति दी गई थी।

उसी वक्त लोकसभा अध्यक्ष की ओर से यह भी चेताया गया था कि अगर कोई भी तख्तियां दिखाता है या फिर वेल में आता है तो कार्रवाई हो सकती है। इस चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए फिर से विपक्ष के कई सदस्यों ने तख्तियां भी दिखाया और वेल में भी उतर आए। लिहाजा सदन की कार्यवाही कई बार बाधित हुई। गुरुवार को लोकसभा में शोर शराबे के बीच कुछ देर तो प्रश्नकाल चला लेकिन आखिरकार इसे स्थगित करना पड़ा।

दरअसल कांग्रेस समेत कई विपक्षी सदस्यों की ओर से ईडी के दुरुपयोग, जीएसटी आदि को लेकर तख्तियां दिखाई गईं। ऐसा करने वालों में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी भी शामिल थे। कांग्रेस, डीएमके के कई सदस्य वेल मे भी दिखे। क्षुब्ध लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें चेतावनी दी कि सदस्य वेल से नहीं गए तो कार्रवाई होगी लेकिन कोई उन्हें सुनने को तैयार नहीं था।

वहीं कांग्रेस ने प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाइयों का हवाला देते हुए राज्‍य सभा में तीखे स्‍वर में सरकार पर सवाल उठाए। कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मुझे ईडी का समन मिला और उन्होंने मुझे बुलाया है। मैं कानून का पालन करना चाहता हूं, लेकिन जब संसद का सत्र चल रहा हो तो क्या उनका समन करना सही है? क्या पुलिस के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी के आवासों का घेराव करना सही है?

कांग्रेस कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि नेता हम कानून के शासन में विश्वास करते हैं। हम सभी कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं लेकिन जब विपक्ष के सांसद संसद सत्र के दौरान बहस में भाग ले रहे हैं तो प्रवर्तन निदेशालय उन्हें समन कर रहा है। गौरतलब है कि एक दिन पहले भी जब ईडी नेशनल हेराल्ड मामले में कई स्थानों पर जांच कर रहा था तो कांग्रेस के सदस्यों ने सदन में विरोध जताया था। उस वक्त सोनिया गांधी भी वेल में पहुंच गई थीं।