नईदिल्ली I केंद्र में दो बार एतिहासिक जीत हासिल करके सत्ता संभालने वाली भाजपा इस समय देश के 18 राज्यों में सरकार चला रही है। वह दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल होने का दावा भी करती है। लेकिन इसके बाद भी वह बाहरी नेताओं को अपनी पार्टी में लगातार जगह देती रही है। इसमें ऐसे नेता भी शामिल हैं जिनकी छवि विवादित रही है। रमाकांत यादव, स्वामी प्रसाद मौर्या, बाबू सिंह कुशवाहा और शाबिर अली जैसे नेताओं की छवि बेहद विवादित थी, लेकिन इसके बाद भी उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया गया। इनमें से कुछ को कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद बाहर का रास्ता दिखा दिया गया तो कुछ अभी भी पार्टी में हैं। बड़ा प्रश्न है कि भाजपा ऐसा क्यों करती है?

बाहरी नेताओं को पार्टी में लेने का फैसला भाजपा के लिए हमेशा सही साबित नहीं हुआ है। पार्टी कार्यकर्ता भी मानते हैं कि पश्चिम बंगाल में भाजपा को अपेक्षित सफलता न मिल पाने का बड़ा कारण उसका तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को चुनाव के समय पार्टी में शामिल करना और उन्हें टिकट देना रहा। जिन लोगों से लड़ते हुए कार्यकर्ताओं ने पार्टी को खड़ा करने में मदद की, बाद में उन्हें उन्हीं लोगों के समर्थन में रैलियां करनी पड़ रही थीं। इसे वे अपने अधिकारों पर डाका के साथ-साथ अपने लिए अपमान का विषय भी समझ रहे थे। इन कारणों से भाजपा को कार्यकर्ताओं और उनके समर्थित लोगों का साथ नहीं मिला जिसके कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

भाजपा ने बताया वैचारिक विस्तार

भाजपा के एक शीर्ष नेता ने बताया कि पार्टी यह मानकर चल रही है कि उसका वैचारिक विस्तार हो रहा है। राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की विचारधारा के कारण देर-सबेर ज्यादा से ज्यादा लोग उसमें शामिल होने के लिए आएंगे। ऐसे में उन्हें पार्टी में आने की सहमति तो दी जाती है, लेकिन पार्टी में रहकर उनके लिए कुछ गलत करने का रास्ता बंद कर दिया जाता है। नेता के मुताबिक, स्वामी प्रसाद मौर्य और ओमप्रकाश राजभर ने भाजपा को केवल इसलिए छोड़ दिया था क्योंकि योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री रहने के बाद भी उन्हें उनकी मनमानी नहीं करने दी।
योगी मंत्रिमंडल 2.0 में अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं को भी दूसरा अवसर केवल इन्हीं आरोपों के कारण नहीं दिया गया है। पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ भी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में यदि बाहरी नेता पार्टी में आते हैं और नियमों का पालन करते हैं तो उन्हें स्वीकार करने में कोई परेशानी नहीं है।

हार्दिक पटेल ने क्यों छोड़ी कांग्रेस

हार्दिक पटेल से जुड़े एक नेता ने अमर उजाला को बताया कि जिस समय सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का विरोध करने के लिए महाराष्ट्र सदन में एक बैठक हुई थी, उस दौरान हार्दिक पटेल ने उन्हें बताया था कि कांग्रेस पार्टी में उन्हें खुलकर काम करने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। वे अपने समर्थकों के साथ बड़े राजनीतिक कार्यक्रम-अभियान चलाकर कांग्रेस पार्टी को गुजरात में मजबूत करना चाहते थे, लेकिन पार्टी की केंद्रीय इकाई की ओर से उन्हें अनुमति नहीं दी गई। उसी समय उन्होंने इशारा कर दिया था कि वे पार्टी से अलग राह अपना सकते हैं।

इस नेता के मुताबिक, हार्दिक पटेल पर कई गंभीर मामले दर्ज हैं। यदि इस मामले में मुकदमा चलता है तो उन्हें लंबी सजा हो सकती है और (ज्यादा समय तक की सजा होने के कारण) उनका राजनीतिक करियर भी खत्म हो सकता है। ऐसे में भाजपा के साथ जुड़ना उनकी राजनीतिक मजबूरी हो सकती है।

हार्दिक पटेल का सबसे ज्यादा प्रभाव पटेल समुदाय के युवाओं पर है। माना जाता है कि पटेल समुदाय के ये युवा भी राष्ट्रवाद की भावनाओं के कारण उन पर भाजपा से जुड़ने का दबाव बना रहे थे। भाजपा ने सरदार पटेल की राजनीतिक को एक नई ऊंचाई देकर राज्य के पटेल मतदाताओं के बीच एक भावनात्मक रिश्ता बना लिया है। ऐसे में यदि वे भाजपा के साथ न जाते तो उनकी राजनीति को नुकसान हो सकता था। लिहाजा माना जा रहा है कि इन तीनों ही प्रमुख कारणों से हार्दिक पटेल ने भाजपा में जाने का रास्तना।