मेरठ मंकी पॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। शासन ने निर्देश दिए हैं कि मंकी पॉक्स के लक्षणों वाला अगर कोई मरीज मिलता है तो चिकित्सक और अस्पताल इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को दें। दिल्ली में मंकी पॉक्स का पहला मरीज मिलने के बाद मेरठ में भी स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है।

सीएमओ ने निर्देश दिए हैं कि मंकी पॉक्स के लक्षणों वाला अगर कोई मरीज मिलता है तो चिकित्सक और अस्पताल इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को दें। ऐसे मरीजों के सैंपल जांच के लिए पुणे की लैब में भेजे जाएंगे। वहीं पश्चिमी यूपी के अन्य जिलों में भी मंकी पॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है। मेरठ में कोरोना की बात करें तो यहां बुधवार को 12 नए मरीज मिले हैं।

सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन ने बताया कि मंकी पॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। यह एक दुर्लभ बीमारी है। मंकी पॉक्स चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। इस वजह से इसे मंकी पॉक्स कहा गया, जबकि मंकी पॉक्स से इंसानों में संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. अशोक तालियान ने बताया कि यह बीमारी मंकी पॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होती है। इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं। ऐसे होता है संक्रमण का प्रसार मंकी पॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है। यह बीमारी घावों, शरीर के तरल पदार्थ और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है। वैसे यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक बताया जा रहा है। मंकीपॉक्स को लेकर बिजनौर में भी स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है। यहां सभी जिला अस्पतालों को 10 बेड आरक्षित करने के निर्देश दिए गए हैं। जिला अस्पताल में मंकीपॉक्स को लेकर तैयारी की जा रही है। अगर कोई मरीज मिलता है तो की जानकारी विभाग को दी जाएगी।