कोरबा। निगम क्षेत्र में सात गोठान और दो कांजीघर होने के बाद भी सड़कों में मवेशियों का जमावड़ा है। लाकडाउन में छूट के बाद सड़क में वाहनों की भरमार है। ऐसे में प्रतिदिन यातायात प्रभावित हो रही है। शहर में रोका-छेका अभियान को प्रभावी ढंग से संचालित नहीं किए जाने से आम लोगों को सड़कों में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है साथ ही आवागमन के दौरान दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

मवेशियों को सुरिक्षत जगह रखने और यातायात को व्यवस्था को सुधारने के लिए शहर में भी गोठान का निर्माण किया है लेकिन निर्माण के बाद मवेशियों को हांककर वहां तक ले जाने के लिए अमला नियुक्त नहीं की गई है। शहर के प्रत्येक चौक चौराहों में मवेशियों को झुंड में खड़े अथवा बैठे देखा जा सकता है। लाकडाउन के दौरान सड़के सुनी होने से यहां वहां भटक रहे मवेशियों को रोका छेका अभियान के तहत गोठानो में ले जाया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अब लाकडाउन में छूट मिल गई है और लोगों का आवागमन शुरू हो चुकी है ऐसे में मवेशियों का सड़कों में होना यातायात के लिए खतरे का सबब बना है। ग्रामीण क्षेत्रों मे चारागन भूमि अतिक्रमण के कारण लगातार सिमट रहा है। ऐसे में गाय बैल के लिए चारा की कमी है। शासन की ओर से नरवा गरूवा घुरूवा बारी योजना के तहत गायों के संरक्षण के लिए गोठान की योजना तो शुरू की गई है लेकिन अभी तक कई गांव में इसका निर्माण पूरा नहीं हुआ है। निगम प्रशासन की ओर से एक जुलाई से रोका छेका संकल्प अभियान को सघनता से संचालित करने की कवायद की गई। देखना यह है कि अभियान कितना कारगर होता है।

साप्ताहिक बाजारों में डेरा

ज्यादातर शहर के हटरी बाजारों में पशुओं देखा जा सकता है। इसके अलावा कोसाबाड़ी, घंटाघर से लेकर बुधवारी बाजार होते हुए जैन मंदिर तक जगह जगह झुंड में बैठे हुए मवेशियों को देखा जा सकता है। शहर के कांजीहाउस की दशा इतनी बदहाल हो चुकी है कि यह अब बेसहारा पशुओं को रखने के काबिल नहीं रह गई है। यहीं वजह है कि शहर में बेखौफ घूमते आवारा पशुओं को आसानी से देखा जा सकता है।