उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संसद की सदस्यता छोड़कर करहल से विधायक बने रहने का फैसला किया है। एक दिन पहले लोकसभा स्पीकर को इस्तीफा सौंपने वाले अखिलेश यादव ने बताया है कि क्यों उन्होंने करहल से विधायक बने रहने का फैसला किया है। साथ ही आजमगढ़ से भी तरक्की के लिए काम करते रहने का भी वादा किया है।
अखिलेश यादव ने बुधवार को ट्वीट किया, ”विधानसभा में उत्तर प्रदेश के करोड़ों लोगों ने हमें नैतिक जीत दिलाकर ‘जन-आंदोलन का जनादेश’ दिया है। इसका मान रखने के लिए मैं करहल का प्रतिनिधित्व करूंगा और आजमगढ़ की तरक्की के लिए भी हमेशा वचनबद्ध रहूंगा। महंगाई, बेरोजगारी और सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष के लिए ये त्याग जरूरी है।”
गौरतलब है कि 10 मार्च को घोषित हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। भारतीय जनता पार्टी गठबंधन ने 273 सीटों पर जीत हासिल करके एक बार फिर सत्ता पर कब्जा किया है तो सपा गठबंधन 125 सीटों पर सिमट गया। अखिलेश यादव ने 2027 को ध्यान में रखकर यूपी की राजनीति में ही सक्रिय रहने का फैसला किया है।
2012 से 2017 तक मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने यूपी की सत्ता से विदाई के बाद दिल्ली का रुख कर लिया था। 2019 में आजगढ़ से लोकसभा चुनाव जीतकर वह संसद गए। जानकारों का मानना है कि अखिलेश यादव यूपी की राजनीति में काफी समय तक कम सक्रिय रहे, जिसकी वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में अब अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है।