शिमला। अब पीपीई किट को दोबारा पहन सकेंगे. इस्तेमाल के बाद इसे फेंकने की जरुरत नहीं होगी. ये कमाल हिमाचल प्रदेश के आईआईटी मडी के वैज्ञानिकों ने किया है. वैज्ञानिकों ने पीपीई किट और मास्क के लिए ऐसा फैब्रिक तैयार किया है, जो कोरोना वायरस को नष्ट करेगा. पीपीई किट की विशेष कपड़े की कीमत प्रति स्क्वेयर सेंटीमीटर ढाई से तीन रुपए होगी. वहीं एक मास्क तीस रुपए में तैयार होगा. इसे कपड़ों की तरह बार-बार प्रयोग किया जा सकता है. धूप में रखने के बाद वायरस अपने आप साफ हो जाएगा.फैब्रिक से सांस लेने की क्षमता में कोई कमी नहीं आएगी.
आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेस के शोधार्थियों ने पाया है कि इस फैब्रिक वाली पीपीई किट और मास्क को साठ बार धोने के बाद भी उत्कृष्ट जीवाणु रोधी क्षमता रहेगी. शोध के परिणाम हाल ही में अमेरिकन केमिकल सोसायटी के प्रतिष्ठित जर्नल-एप्लाइड मैटीरियल्स एंड इंटरफेसेज में प्रकाशित हुआ. यह शोध स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित जायसवाल के मार्गदर्शन में प्रवीण कुमार, शौनक रॉय और अंकिता सकरकर ने किया है.
फैब्रिक में मोलिब्डेनम सल्फाइड, एमओएस2 के नैनोमीटर आकार की शीट शामिल की गई है. इनके धारदार किनारे और कोने चाकू की तरह बैक्टीरिया और वायरल झिल्ली को छेद कर उन्हें मार देते हैं. प्रयोग में सामने आया कि नैनोनाइफ-मोडिफाइड फैब्रिक में 60 बार तक धुलने के बाद भी उत्कृष्ट जीवाणु रोधी गतिविधि देखी गई.
फेब्रिक पीपीई किट से हर बार नये किट पहनने से निजात मिलेगी. वहीं पीपीई किट और मास्क फेंकने में लापरवाही से संक्रमण फैलने का खतरा है, लेकिन बार-बार उपयोगी रोगाणुरोधी मैटीरियल इस जोखिम को कम करेंगे. इस फैब्रिक को केवल तेज धूप में रख देने से यह साफ और फिर से पहनने योग्य हो सकता है.
मोलिब्डेनम सल्फाइड के नैनोशीट्स माइक्रोबियल मेंब्रेन को ध्वस्त करने के अतिरिक्त प्रकाश में आने पर संक्रमण से मुक्ति भी देते हैं. मोलिब्डेनम सल्फाइड फोटोथर्मल गुणों का प्रदर्शन करते हैं अर्थात ये सौर प्रकाश को ग्रहण करते हैं और इसे ताप में बदल देते हैं जो रोगाणुओं को मारता है.