बिहार में मैट्रिक में लगभग 16.5 लाख और इंटरमीडिएट में 13.5 लाख स्टूडेंट्स हैं। ऐसे में 30 लाख स्टूडेंट्स की तकलीफ और गुस्सा इसी बात से है कि उनकी पढ़ाई पूरी हुई नहीं और परीक्षा की तिथि घोषित हो गई है।कोरोना के कारण राज्य में बीते 2 साल से स्कूलों में पढ़ाई बेपटरी हो गई है। सरकारी स्कूलों की बात करें तो यहां तो पढ़ाई ठप कह सकते हैं। वजह ये है कि प्राइवेट स्कूलों की तरह यहां ऑनलाइन क्लासेज भी नहीं होते हैं। ऐसे में इंटरमीडिएट की परीक्षा देने की तैयारी कर रहे परीक्षार्थी ये सवाल पूछ रहे हैं कि परीक्षा कैसे दें, जब पढ़ाई हुई ही नहीं। इसी को लेकर हमने राज्य के 15 जिलों में स्टूडेंट्स से बात की और उनकी परिस्थिति से रूबरू हुए।
2 साल के सत्र में 388 दिन स्कूल, कॉलेज रहे बंद
बिहार में 1 फरवरी से इंटरमीडिएट की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। फाइनल एग्जाम सिर पर है और परीक्षार्थी परेशान हैं। वजह ये है कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि परीक्षा में क्या लिखें। असल में इस बार जो परीक्षार्थी इंटरमीडिएट की परीक्षा देंगे उन्होंने एडमिशन तो लिया था 2 साल के इंटरमीडिएट सत्र के लिए। लेकिन, क्लासेज हुए महज 1 सत्र के बराबर। दैनिक भास्कर आंकड़ों के जरिए इसका पूरा ब्यौरा आपको दे रहा है। सत्र 2020-22 में इंटरमीडिएट के स्टूडेंट्स की एडमिशन प्रक्रिया पूरी होते ही कोरोना की पहली लहर के कारण आते 14 अप्रैल 2020 से सारे शिक्षण संस्थान बंद हो गए।
इसके बाद हाईस्कूल-इंटर के बच्चों के लिए स्कूल 265 दिन बाद 4 जनवरी 2021 से ही खोले जा सके। दूसरी लहर में फिर से 5 अप्रैल 2021 से स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए। इसके बाद 123 दिन बाद अगस्त में स्कूल खुले, वो भी 50 फीसदी उपस्थिति के साथ। लॉकडाउन में स्कूलों की बंदी की इन तारीखों के बाद अब जरा ये देखिए कितने दिन इंटरमीडिएट के स्टूडेंट की ऑफलाइन क्लासेज हुए। ये दिन 23 दिन जनवरी में, 24 दिन फरवरी में, 25 दिन मार्च में, 3 दिन अप्रैल में, 23 दिन अगस्त में, 25 दिन सितंबर में, 20 दिन अक्टूबर में, 15 दिन नवंबर में, 25 दिन दिसंबर में। इस तरह 2 साल के सत्र में इंटर के स्टूडेंट्स को 183 दिन पढ़ाया गया।
कॉलेज रहे बंद, लेकिन न सिलेबस छोटा किया न ऑनलाइन क्लासेज हुईं
बिहार में इस बार 13 लाख 46 हजार 334 परीक्षार्थी इंटर की परीक्षा देंगे। घोषित सिलेबस के मुताबिक इंटरमीडिएट के स्टूडेंट को 2 साल में 360 दिन पढ़ाया जाना है। यानी एक साल में 180 दिन। ऐसे में दैनिक भास्कर जो आंकड़े स्कूल के शिक्षकों से बातचीत के जरिए निकाल पाया है उसके मुताबिक बिहार 2 साल के सत्र में इंटर के स्टूडेंट केवल एक सत्र की पढ़ाई कर पाए। इसके बावजूद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति और बिहार शिक्षा विभाग की तरफ से न तो छात्रों की मुश्किलें को कम करने के लिए परीक्षा का सिलेबस छोटा किया गया है और न इसमें कोई राहत देने की बात आई है।
हद तो ये है कि लगातार 2 साल से कोरोना की परिस्थितियों को देखने के बावजूद बिहार बोर्ड ऑनलाइन क्लासेज को लेकर स्कूलों में कोई आधारभूत संरचना खड़ा नहीं कर पाया है। डीईओ पटना अमित कुमार के मुताबिक ऑनलाइन क्लासेज कराना न कराना शिक्षकों की स्वेच्छा पर है। वजह ये है कि न तो हमारे सरकारी स्कूलों के पास इसके लिए आधारभूत संरचना है और न ही हमारे सभी बच्चों के पास मोबाइल। ऐसे में हम ऑनलाइन क्लास लेने का आदेश नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि दूरदर्शन के जरिए बच्चों की पढ़ाई कराई गई थी।
स्टूडेंट्स बोले- तैयारी है नहीं, परीक्षा कैसे दें
इस संबंध में हमने आरा, सीतामढ़ी, हाजीपुर, गोपालगंज, जमुई, औरंगाबाद, कैमूर, नवादा, नालंदा, बक्सर, मधुबनी, समस्तीपुर, सीवान, बांका और पटना में पड़ताल की। लेकिन, एक बात जो हर जगह सुनने को मिली है वह यह कि तैयारी बिल्कुल नहीं है, कैसे परीक्षा दें? वहीं, कुछ स्टूडेंट्स ने कहा कि ज्यादातर समय तो स्कूल बंद ही रहा है। बिना सिलेबस पूरा कराए परीक्षा ली जा रही है। कुछ ने कहा कि ऑफिशियल ग्रुप में भी सिर्फ पार्टी की ही सूचना आती है। कोई भी आधिकारिक सूचना नहीं दी जाती है।