आतंकवादी सिमी के मास्‍टरमाइंड सफदर नागौरी समेत 38 आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। सभी को अहमदाबाद में 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में सजा हुई है। नागौरी भोपाल सेंट्रल जेल में बंद है। वह 2017 तक साबरमती जेल में बंद रहा। उसने जेल में बंद 22 इंडियन मुजाहिदीन और सिमी के तमाम आतंकियों को फरार कराने की ऐसी साजिश रची थी कि जेल प्रशासन ही नहीं, बल्कि देश की शीर्ष जांच एजेंसियां भी चौंक गई थीं। उसने जेल ब्रेक की तैयारी 6 साल पहले शुरू कर दी थी। एक पपीते ने आतंकियों के मंसूबे पर पानी फेर दिया और जेल ब्रेक रुक गया। विस्तार से बताते हैं कि नागौरी कितना खूंखार आतंकी है और उसने जेल तोड़ने के लिए पढ़ाई का कैसे सहारा लिया था…

साजिश ऐसी रची कि 6 साल बाद फरार हो सके
सिमी चीफ सफदर नागौरी ने साबरमती जेल से भागने के लिए बहुत बड़ी और बेहद तगड़ी योजना बनाई थी। जेल में प्लानिंग की कि 5 या 6 साल के बाद फरार हुआ जा सके। सबसे पहले उसने अपने सभी साथियों को अपना बर्ताव बेहद अच्छा करने को कहा। इसके बाद सभी आतंकवादी जेल में बढ़िया बर्ताव करने लगे। फिर आतंकवादियों ने जेल प्रशासन से पढ़ने की अनुमति मांगी। उनके अच्छे चाल चलन और व्यवहार के आधार पर उन्हें इग्नू से डिस्टेंस लर्निंग से पढ़ने की अनुमति मिल गई। आतंकवादियों ने 3 साल बेहद मन लगाकर पढ़ते हुए अपनी-अपनी डिग्री भी प्राप्त कर ली।

सुप्रीम कोर्ट ने दी थी इंटरनेट सर्फिंग की इजाजत
इसके बाद नागौरी ने पीएचडी करने की परमिशन मांगी और उसे परमिशन मिल गई। नागौरी ने जेल की लाइब्रेरी में इंटरनेट पर सर्फिंग करने की इजाजत मांगी। इसे जेल प्रशासन ने अस्वीकार कर दिया। इसके बाद उसने अपने वकील द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें सफदर नागौरी के अच्छे चाल चलन और उसकी जेल में प्राप्त की गई 2 डिग्री के आधार पर सुप्रीम कोर्ट को इस बात के लिए राजी कर लिया कि आतंकी सफदर नागौरी को जेल की लाइब्रेरी में प्रतिदिन 4 घंटे इंटरनेट सर्फिंग की इजाजत दे दी जाए, ताकि वह अपनी पीएचडी की तैयारी कर सकें।

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