• जिले में पांच वर्ष तक के एक लाख से अधिक बच्चों का मापा जाएगा पोषण स्तर,
  • लगभग 30 हजार से अधिक किशोरी बालिकाओं की हिमोग्लोबिन जांच भी होगी
  • कलेक्टर श्रीमती साहू ने वजन त्यौहार में भाग लेने जिलेवासियों से की अपील

कोरबा/ बच्चों में कुपोषण की स्थिति का पता लगाने के लिए एक से 16 जुलाई तक वजन त्यौहार का आयोजन किया जाएगा। वजन त्यौहार के दौरान हितग्राहियों को आंगनबाड़ी केन्द्रों में बुलाकर पोषण स्तर की जांच की जाएगी। जिले मंे पांच वर्ष से कम आयु के एक लाख आठ हजार बच्चों के पोषण स्तर आंकलन के लिए वजन त्यौहार का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान पांच वर्ष तक के बच्चों का वजन और ऊंचाई ज्ञात किया जाएगा तथा बच्चों में बौनापन और दुर्बलता की भी जांच की जाएगी। पोषण स्तर की जांच उपरांत बच्चों का आयुवार रिकाॅर्ड मोबाइल एप्प में एंट्री किया जाएगा। वजन त्यौहार के दौरान जिले के लगभग 30 हजार से अधिक 11 से 18 वर्ष की किशोरी बालिकाओं को भी इस अभियान में शामिल किया गया है।

इस दौरान किशोरी बालिकाओं का हिमोग्लोबिन लेवल की जांच की जाएगी। किशोरी बालिकाओं का हिमोग्लोबिन टेस्ट के साथ बीएमआई भी ज्ञात किया जाएगा। कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने जिले वासियों सेे वजन त्यौहार में सहभागी बनने की अपील की है। उन्होंने कहा कि वजन त्यौहार के दौरान पांच वर्ष तक के बच्चों कोे आंगनबाड़ी केन्द्रों तक लाकर पोषण स्तर की जांच करवाएं। कलेक्टर श्रीमती साहू ने 11 से 18 वर्ष की किशोरी बालिकाओं को भी अपने हिमोग्लोबिन स्तर की जांच करवाने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों तक आने को कहा है।

महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री ए. पी. किस्पोट्टा ने बताया वजन त्यौहार के आयोजन की निगरानी के लिए निगरानी दल का भी गठन किया गया है। विकासखण्ड स्तर पर वजन त्यौहार की निगरानी के लिए पर्यवेक्षण टीम भी गठित किया गया है। वजन त्यौहार का आयोजन कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए मनाया जाएगा। इस दौरान कोविड-19 पाॅजिटिव बच्चे और परिवार को वजन त्यौहार में शामिल नहीं किया जाएगा। बच्चों की कोविड जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही उनका वजन लिया जाएगा। श्री किस्पोट्टा ने बताया कि कुपोषण की स्थिति के आंकलन के लिए वजन त्यौहार का आयोजन जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में किया जाएगा। इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका एवं मितानिन मौजूद रहेंगे। वजन त्यौहार में सामुदायिक सहभागिता के लिए गांवों में वाॅल राईटिंग के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।