नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बीते एक साल से जारी सैन्य गतिरोध के बीच सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवने ने अरुणाचल प्रदेश सेक्टर से लगी उत्तरी सीमा पर सेना की आपरेशनल तैयारियों का जायजा लेते हुए समीक्षा की। सेना प्रमुख ने इस दौरान सैनिकों की जबरदस्त सजगता की तारीफ करते हुए एलएसी पर बेहद सतर्क रहने और सीमा के उस पार से चीनी गतिविधियों को लेकर अलर्ट रहने को कहा।
पूर्वी लद्दाख के इलाके में एलएसी के पार चीनी सेना की हाल के दिनों में बढ़ी सक्रिय गतिविधियों को देखते हुए सेना प्रमुख का अरुणाचल-सिक्किम से लगी सीमाओं का जायजा लेना अहम है। दो दिन की यात्रा पर गुरुवार को दीमापुर पर पहुंचे जनरल नरवने ने पहले दिन अरुणाचल प्रदेश से लगी चीन की सीमाओं पर सेना की आपरेशनल तैयारियों की समीक्षा की। वहीं शुक्रवार को पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा स्थिति विशेष रूप से म्यांमार से लगी सीमा की सुरक्षा चुनौतियों का जायजा लिया। इस समीक्षा बैठक में दीमापुर के सैन्य हेड क्वाटर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जानसन मैथ्यू और जनरल आफिसर कमां¨डग समेत सेना के तमाम वरिष्ठ सैन्य अफसर मौजूद थे।
चीन के पुराने खुराफात को देखते हुए सेना की चौकसी पहले से कहीं ज्यादा
चीनी सेनाओं की एलएसी पर सक्रियता और पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के मद्देनजर भारतीय सेना चीन से लगी पूरी सीमा पर अपनी तैनाती और सर्तकता में कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती। विशेषकर अरुणाचल और सिक्किम से लगी सीमाओं पर चीन के पुराने खुराफात को देखते हुए सेना की चौकसी पहले से कहीं ज्यादा है। सेना प्रमुख ने बुधवार को साफ कहा था कि लद्दाख के करीब चीनी सेना के वार्षिक अभ्यास और प्रशिक्षण की गतिविधियों पर हमारी पूरी नजर है और हमारी सेना किसी भी तरह की कार्रवाई या गतिविधि से निपटने के लिए वहां पूरी तरह से तैयार व सतर्क है। जनरल नरवने यह भी साफ कर दिया था कि जब तक चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में एलएसी के इलाकों से पीछे नहीं हटते तब तक भारत उत्तरी सीमा पर अपने सैनिकों की तैनाती कम नहीं करेगा।
चीन को लगातार भारत कठोर संदेश देने का कर रहा प्रयास
चीनी सेना की खुराफात को लेकर सैन्य सतर्कता बरतने के साथ ही कूटनीति स्तर पर भी चीन को लगातार भारत कठोर संदेश देने का प्रयास कर रहा है। विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को एक बार फिर साफ कहा कि जब तक एलएसी पर जारी तनाव खत्म नहीं हो जाता तब तक चीन के साथ सहयोगपूर्ण रिश्ते संभव नहीं है। पूर्वी लद्दाख के इलाकों में एलएसी पर चीनी अतिक्रमण की घटनाओं के बाद भारत ने बीते एक साल के दौरान सीमा के मोर्चे पर सैन्य जवाब देने के अलावा आर्थिक मोर्चे पर चीनी कारोबार पर काफी हद तक ब्रेक लगाया है। चीनी टेलीकाम कंपनियों को भारत में 5जी स्पेक्ट्रम की बोली में शामिल होने के लिए नियम बनाकर उनका रास्ता बंद कर दिया तो कई चीनी टेक कंपनियों को कारोबार बंद कर दिया था।