*सीजीएम कोरबा के समक्ष मुँह में काली पट्टी बांधकर दिया सामूहिक स्पष्टीकरण*
*कोरबा:-*
एसईसीएल कोरबा क्षेत्र द्वारा अम्बिका ओपन कास्ट परियोजना के 198 कास्तकारों की मुआवजा राशि ट्रिब्यूनल में जमा कराने के आदेश से आक्रोशित भुविस्तापितो ने आज ऊर्जाधानी भुविस्थापित किसान कल्याण समिति के बैनर तले मुड़ापार से मुख्य महाप्रबन्धक कोरबा कार्यलय तक मुंह मे पट्टी बांधकर मौन रैली निकाली और मानव श्रृंखला बनाकर प्रदर्शन किया ।
एसईसीएल की कोरबा क्षेत्र अंतर्गत अम्बिका ओपन कास्ट खदान के लिए पाली तहसील के ग्राम करतली,तेंदुभाठा और दमिया के निजी हक की 335.19 एकड़ भूमि एवं राजस्व वन भूमि 15.52 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कोल बेयरिंग एक्ट के तहत किया जा चुका है । भूमि अर्जन के एवज में 485 काश्तकारों को 26.72 करोड़ रुपये मुआवजा भुगतान किया जा चुका है और शेष 198 काश्तकारों ने मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है। इन काश्तकारों का कथन है कि छोटे रकबे होने के कारण उनको रोजगार से वंचित होना पड़ेगा और उनकी भविष्य अंधकारमय हो जाएगा जबकि एसईसीएल अथवा शासन उनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए कोई ठोस निर्णय नही दे पा रहा है ऐसी स्थिति में कोयला खदान खुलने ही नही दिया जाएगा चाहे कुछ भी हो जाये । । प्रदर्शन में शामिल भुविस्थापितो ने बताया कि उनकी परिसम्पतियों का मूल्यांकन करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियो की गैरमौजूदगी में गलत तरीके से मूल्यांकन किया गया है ।
ग्राम करताली के अध्यक्ष जयपाल सिंह ख़ुसरो ने कहा कि जल,जंगल ,जमीन की रक्षा करने वाले आदिवासी किसानों की पुरखो की जमीन को देश हित का हवाला देकर जबरदस्ती छीना जा रहा है । कोयला उत्खनन क्षेत्र में यह समस्या ज्यादा है जिसमे 10-15 वर्षो तक जमीन को बंधक बनाकर किसानों को प्रताड़ित किया जाता है । और सन 2012 के बाद लायी गई कोल इंडिया पालिसी के कारण छोटे रकबे वाले किसानों को रोजगार से वंचित कर दिया गया है । ऊर्जाधानी संगठन के उपाध्यक्ष बृजेश श्रीवास ने कहा पुनर्वास नीतियों का खुला उलंघन कर विस्थापित होने वाले परिवारों की अधिकारों का हनन किया जा रहा है ऐसे परिवारों को मूलभूत सुविधा नही दिया जा रहा है जिसे बर्दाश्त नही किया जा सकता । ऊर्जाधानी भुविस्थापित किसान कल्याण समिति के क्षेत्रीय अध्यक्ष गजेंद्र ठाकुर ने कहा एसईसीएल अपनी सामाजिक उत्तरदायित्व का पालन करने के बजाय आदिवासी किसानों की जीवन को नरक बना दिया है ।
प्रदर्शन के दौरान ललित महिलांगे अर्जुन वस्त्रकार अजय यादव भुजबल बिंझवार राज दीवान योगेंद्र यादव राहुल जायसवाल ललित पटेल जगदीश पटेल राजराम पवन यादव रामकुमारी टेकाम सुखमति राम बाई कुसुम बाई बुधवारा बाई सुमित्राबाई फुल कुंवर कमलाबाई शांति बाई धन बाई मरावी, पंच कुंवर श्याम शंकर सिंह टेकाम रामदुलारी जगत नंदकुमार मरावी नारायण सिंह जगत रघुनंदन सिंह टेकाम सदस्य सहस राम जगत, गेंदराम आयम, नारायण सिंह जगत, चैन सिंह अशोक कुमार टेकान, जयपाल सिंह कुसरो मनीराम भारती संतोष राठौर उतरीबाई फुल कुंवर विमला प्रभतिन रामकुंवर पंच कुंवर बुधरी बाई ललिता बाई बुधवारा बाई सरोजिनी देवी सुखमति नीराबाई लक्ष्न बाई सुमित्रा देवी तुल कुंवर रजमत बाई रामबाई सुभौति कमला देवी बिंद कुंवर प्रहलाद सिंह करन सिंह सुभाष सिंह रनसिंह घासीराम जयपाल यादव गेंदराम कल्याण सिंह ईश्वर सिंह सहजराम रामदुलारी शिव सिंह नारायण सिंह राम सिंह शिव कुमार शंकर सिंह जयपाल सिंह रघुनंदन जनक सिंह इस्पाल सिंह सुनऊराम नंद कुमार नारायण सिंह अशोक कुमार बड़ी संख्या में प्रभावित किसान शामिल थे ।