नईदिल्ली 21 मई 2021। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की दस्तक के बाद संक्रमण की रफ्तार बेकाबू हो चुकी है। लोग तेजी से कोरोना की चपेट में आ रहें हैं, साथ ही मृतकों के आंकड़े भी रोजाना नए रिकॉर्ड कायम कर रहे हैं। ऐसे में संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें युद्ध स्तर पर जुटी हुई हैं। इस बीच अब सरकार ने कोरोना के प्रसार की दो मुख्य वजहें बताई हैं। केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार एयरोसोल और ड्रॉपलेट्स से कोरोना वायरस फैलने की बात कही गई है। गाइडलाइंस के मुताबिक मुंह-नाक से निकलने वाली छींटें ड्रॉपलेट्स और एयरोसोल के रूप में वायरस को एक से दूसरे व्यक्ति में फैलाने का काम करती हैं। इसकी वजह से बंद जगहों पर संक्रमण तेजी से फैल जाता है।

मोदी सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकारों ने एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि एयरोसोल हवा में दस मीटर तक की दूरी तय कर सकते हैं। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण व्यक्ति के लार और नाक से निकले ड्रॉपलेट्स और एयरोसोल कोविड-19 संक्रमण का प्राथमिक तरीका है। साथ ही यह भी कहा गया है कि कोरोना से संक्रमित बिना लक्षणों वाले मरीज भी वायरस को ट्रांसमिट कर सकते हैं।

पिछले हफ्ते साइंस पत्रिका में छपी एक स्टडी में कहा गया था कि घर के अंदर की साफ हवा ना सिर्फ महामारी से लड़ने में मदद करती है बल्कि ये फ्लू या फिर किसी भी श्वसन संक्रमण के फैलने के खतरे को भी कम करती है। इन कीटाणुओं और इनसे जुड़ी बीमारियों से बचने के लिए इमारतों में वेंटिलेशन और फिल्ट्रेशन होना जरूरी है। वहीं वैज्ञानिकों ने एक बार फिर वेंटिलेशन सिस्टम की जांच पर जोर दिया है. उनका कहना है कि घर के अंदर की हवा साफ और किटाणुमुक्त होनी चाहिए।  इतना ही नहीं 14 देशों के 39 वैज्ञानिकों ने इस बात को मान्यता देने की मांग की है कि घर के अंदर वेंटिलेशन सिस्टम में सुधार कर इंफेक्शन को फैलने से रोका जा सकता है।