नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के 9वें दिन यानी सोमवार को लोकसभा में दण्ड प्रक्रिया पहचान विधेयक 2022 (The Criminal Procedure (Identification) Bill, 2022) पेश किया गया. गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी ने बिल पेश किया. विपक्ष ने इस बिल का विरोध किया. साथ ही अजय मिश्र टेनी ने इस बिल के प्रावधानों के बारे में बताया कि आखिर यह बिल क्यों लाया जा रहा है.

जब अजय मिश्र टेनी ने इस बिल के प्रावधानों के बारे में बता रहे थे, तब कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने उन पर कटाक्ष किया. जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैं अधीर रंजन चौधरी को बताना चाहता हूं, मैंने 2019 में भी लोकसभा के लिए नामांकन दाखिल किया था. अगर मेरे खिलाफ एक भी मामला है, अगर मैं एक मिनट के लिए भी थाने गया हूं या एक मिनट के लिए भी जेल गया हूं, तो मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा.’

उन्होंने आगे बिल के बारे में बताया कि बंदी शिनाख्त अधिनियम 1920 में बना था जिसे अब 102 साल हो चुके हैं. इस अधिनियम में केवल फिंगर प्रिंट और फुट प्रिंट लेन की ही अनुमति थी. अब दुनिया बदल गई है, टेक्नोलॉजी बढ़ी है, वैज्ञानिक प्रक्रियाएं बढ़ी हैं, अपराधियों में अपराध करने का ट्रेंड बढ़ा है, उसके आधार पर इस अधिनियम को विस्तारित करने की ज़रूरत थी. इसलिए हम लोकसभा में दण्ड प्रक्रिया पहचान विधेयक 2022लेकर आए हैं.

इसमें न केवल मेज़रमेंट की प्रक्रीया को विस्तार देने का प्रावधान है, बल्कि उसकी श्रेणियों में भी वृद्धि की जा रही है. यह छोटा अधिनियम है. इससे न केवल जांच एजेंसियों को फायदा होगा, बल्कि प्रॉसिक्यूशन भी बढ़ेगा. प्रॉसिक्यूशन के साथ साथ अदालत में कन्विक्शन भी बढ़ने की पूरी संभावना है. इसमें सभी अधिकारों का ध्यान रखा गया है कि वह सुरक्षित रहें और संवैधानिक रहें. कानून मंत्रालय और लैजिस्लेटिव दोनों द्वारा पूरी तरह विचार करने के बाद बिल ला रहे हैं. इसके साथ ही NCRB ने राज्य संघ राज्य क्षेत्रों और सारे स्टेक होल्डर्स के साथ लंबी चर्चा की है.