सिकंदराबाद I तेलंगाना के सिकंदराबाद शहर में शुक्रवार को हुई हिंसा को लेकर भारतीय जनता पार्टी और रेलवे अधिकारियों ने राज्य सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। रेलवे पुलिस और हैदराबाद सिटी पुलिस दावा कर रही है कि शुक्रवार सुबह सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर भीड़ ने जब हमला किया तो वे हैरान रह गए। इस घटना में भीड़ पर पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। केंद्र की तीनों सेनाओं में भर्ती की नई योजना ‘अग्निपथ’ के खिलाफ शुक्रवार को दक्षिणी राज्य तेलंगाना में जमकर प्रदर्शन हुआ। इस दौरान सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शनकारियों ने जमकर उत्पात मचाया और कई ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हवा में गालियां भी चलाईं। दक्षिण-मध्य रेलवे (एससीआर) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने तीन ट्रेन के कुछ डिब्बों में आग लगा दी।
तेलंगाना पुलिस कैसे चूक गई?
हालांकि, अब सवाल उठ रहे हैं कि जब गुरुवार रात से ही रेलवे स्टेशनों के आसपास भीड़ उत्पात मचाने को तैयार थी तो तेलंगाना पुलिस के फेमस खुफिया विभाग ने इसे नजरअंदाज कैसे कर दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, “यह जानने के बावजूद कि पिछले दिन बिहार जैसे अन्य राज्यों में रेलवे स्टेशनों पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे, फिर भी पुलिस ने रेलवे स्टेशनों पर, विशेष रूप से सिकंदराबाद में, जो इस क्षेत्र में सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है, वहां कोई एहतियात क्यों नहीं बरती? पूरे तेलंगाना में व्हाट्सएप ग्रुपों पर लामबंदी और हिंसा के आह्वान खुलेआम किए गए, पुलिस कैसे चूक गई? यह कुछ ऐसा है जो समझ से परे है।”
बिना बात किए अचानक 6 बजे कैसे भाग गए प्रदर्शनकारी?
सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या राज्य सरकार ने इस हिंसा को केवल इसलिए होने दिया ताकि केंद्र की भाजपा सरकार को शर्मिंदगी का सामना करना पड़े। क्योंकि अचानक प्रदर्शनकारियों ने बिना किसी कारण के शाम 6 बजे अपना विरोध समाप्त करने का फैसला किया। पुलिस के हस्तक्षेप के बिना, प्रदर्शनकारी अपने आप ही रेलवे ट्रैक से भाग गए। रेलवे स्टेशन परिसर से भाग रहे 42 लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पुलिस ने रेलवे स्टेशन पर आगजनी करने के आरोप में इन लोगों को पकड़ा है। दूसरा यह कि प्रदर्शनकारियों ने भारतीय सेना भर्ती अधिकारी (एआरओ) से बात करने की मांग की थी, जिसके बाद हैदराबाद पुलिस के उत्तरी क्षेत्र के अधिकारियों ने एक सेना भर्ती अधिकारी के साथ एक बैठक की, ताकि 10 से 20 प्रदर्शनकारी अधिकारी से उनके कार्यालय में मिल सकें। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने यह कहते हुए मना कर दिया कि या तो अधिकारी आकर उनसे मिलें या उन सभी को भर्ती कार्यालय में जाने दिया जाए।
पुलिस ने केवल 50 कर्मियों की मांग क्यों की?
रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने कहा, “सेना भर्ती के इच्छुक होने का दावा करने वाले प्रदर्शनकारी कई घंटों तक रेलवे ट्रैक पर बैठे रहे, लेकिन शाम 6 बजे के बाद एक मिनट के भीतर सभी प्रदर्शनकारी चले गए। यह पहले से तय योजना थी।” कई रेलवे अधिकारियों ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संदीप शांडिल्य (रेलवे, तेलंगाना) के फैसले पर भी सवाल उठाया, जिसमें सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन को 10 प्लेटफार्मों और सात अलग-अलग प्रवेश द्वारों के साथ कई एकड़ में फैले सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन को सुरक्षित करने के लिए सिर्फ 50 कर्मियों की मांग की गई थी, जबकि अन्य राज्यों से खबरें आ रही थीं कि ट्रेनें बंद हैं क्योंकि प्रदर्शनकारियों द्वारा उन पर हमला किया जा रहा है।
तेलंगाना भाजपा प्रमुख बंदी संजय कुमार ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) सरकार ने केंद्र में भाजपा को तंग करने के लिए हिंसा होने दी। उन्होंने कहा, “तेलंगाना सरकार ने रेलवे स्टेशन को तबाह करने की अनुमति दी है। प्रदर्शनकारी टीआरएस और एआईएमआईएम कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने हंगामा किया। गुरुवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा की गई हिंसा को भी राज्य सरकार ने अनुमति दी थी। टीआरएस द्वारा अग्निपथ योजना के बारे में गलत सूचना फैलाई गई, जिसके कारण राज्य प्रायोजित हिंसा हुई।”