कोरबा। करतला जनपद पंचायत क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत सजापानी के रोजगार सहायक लखन कंवर के द्वारा फर्जी बिल वाउचर के जरिए किए गए करीब 43 लाख के आहरण के मामले में कार्यवाही लंबित है। जांच पूरी होने और फर्जीवाड़ा प्रमाणित होने के बाद भी जिला पंचायत के सीईओ नूतन कंवर के द्वारा ना तो कोई कार्रवाई कराई जा सकी है और ना ही संबंधित के विरूद्ध थाना में एफआईआर दर्ज कराया जा रहा है।

इस संबंध में जनपद पंचायत की ओर से एक पत्र जिला सीईओ और पुलिस अधीक्षक कार्यालय को प्रेषित कर एफआईआर दर्ज करने के लिए आग्रह किया गया था लेकिन किसी भी तरह की कार्रवाई का ना होना कई सवालों को जन्म दे रहा है। यह बात भी सामने आई है कि शिकायतकर्ता स्वयं उरगा थाना पहुंचा था लेकिन वहां से खाली हाथ वापस लौटना पड़ा क्योंकि इस बीच किसी का फोन आ गया था।
इधर शिकायतकर्ता अधिवक्ता शिवचरण चौहान के द्वारा मामले में शासन से शिकायत कर कहा गया है कि जिला सीईओ के द्वारा इस पूरे मामले में रिश्तेदारी निभाई जा रही है, पंचायत में हुए भ्रष्टाचार पर भी वे कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं इसलिए उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाया जाए।
शिकायतकर्ता के आवेदन पर शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय ने मनरेगा आयुक्त को 15 दिन के भीतर जांच कराकर प्रतिवेदन भेजने हेतु कहा है। इसी तरह मनरेगा के अपर सचिव ने जिला लोकपाल को निर्देशित किया है कि वे इस मामले की जांच कराकर 15 दिन में प्रतिवेदन प्रस्तुत करें।
बता दें कि रोजगार सहायक की पत्नी करतला जनपद पंचायत की अध्यक्ष भी हैं। जिला पंचायत की एक सदस्य के द्वारा भी इस मामले में गहरी रुचि ली जा रही है। जिला पंचायत के एक बड़े जनप्रतिनिधि के द्वारा रुचि लिए जाने के कारण मामला ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है। प्रमाणित हो चुके अपराध में कोई कार्रवाई नहीं होने से सरकार की उस मंशा को भी धक्का पहुंच रहा है, जिसमें उसके द्वारा कहा जाता है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और सख्त कार्रवाई होगी।
मनरेगा तालाब राख से पाटने के मामले में खामोशी/संरक्षण..!
जिले में मनरेगा का तालाब पाटने वाले आज भी खुलेआम निर्भीक होकर घूम रहे हैं। यह शासन-प्रशासन की कार्यवाही का दोहरा मापदंड है जिससे सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन की भी धज्जियां उड़ रही हैं। जिला पंचायत सीईओ नूतन कंवर के द्वारा इस मामले में भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि जिला पंचायत के एक बड़े जनप्रतिनिधि और उनके पति के इशारे पर इस मामले को दबाया जा रहा है। राजस्व मंत्री के जिले में कोरबा जनपद क्षेत्र के ग्राम बरीडीह में मनरेगा योजना के करीब 13 लाख की लागत से निर्मित लगभग 13 हेक्टर के तालाब को लैंको की राख से संबंधित ठेकेदार ने पाट दिया है। इस मामले को भी खटपट न्यूज ने प्रमुखता से उजागर किया जिस पर दो अलग-अलग टीम ने जाँच कर लिया है। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। प्रकरण में ना तो क्षेत्र के भाजपा विधायक ननकीराम कंवर संज्ञान ले रहे हैं और ना ही दूसरे भाजपाई अथवा सक्रिय जनप्रतिनिधि।अधिकारी द्वारा कार्रवाई का दोहरा मापदंड अपनाए जाने से किरकिरी तो सरकार और प्रशासन की होनी है। जिला सीईओ नूतन कंवर पर और मामले में भी आरोप लगते रहे हैं। यह दुर्भाग्य जनक और चिंताजनक है कि जो अपराध प्रमाणित हो चुके हैं, जिनकी जांच हो चुकी है उनमें भी कार्रवाई करने में अधिकारी कोताही क्यों बरत रहे हैं?