वाराणसी में कोविड 19 की दूसरी लहर के चलते श्री प्रशासन ने लिया बड़ा फैसला लिया है। मंदिर के गर्भगृह में आम श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। इसी के साथ मंदिर के किसी भी हिस्से को दर्शनार्थियों के छूने पर भी लगाया गया है।
मन्दिर के सभी गेट पर एक विशेष पात्र रखा गया है, जिसमे सिर्फ भक्तगण अपने आराध्य को बाहर से जल अर्पित करेंगे। काशीनगरी में नाइट कर्फ्यू के कारण शयन आरती से भक्तों को दूर रखा गया है, वहीं मंदिर की मंगला आरती के समय की होने वाली टिकट बुकिंग को भी अगले आदेश तक रोक दिया गया है। शयन और मंगला आरती में सिर्फ मंदिर प्रशासन और पुजारी को रहने की अनुमति दी गई है।

मंदिर प्रशासन ने भले ही भक्तों को मंदिर में भगवान शिव के चरणों की अनुमति कोरोना के चलते नहीं दी है, लेकिन भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के दर्शन पर आए भक्तगण जो अपने साथ दूध और जल लाए हैं, वे मंदिर के बाहर को लगे पाइप के सहारे भोले को अर्पित करेंगे। यानी शिवभक्त अब सिर्फ झांकी दर्शन ही कर पाएंगे। मंदिर प्रशासन ने यह कदम कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर लिया है।
गौरतलब है कि कोरोना की पहली लहर के दौरान भी मंदिर में इसी प्रकार की व्यवस्था की जा चुकी है, लेकिन कोरोना 19 के कमजोर होन पर श्रद्धालुओं के गर्भगृह में प्रवेश को खोल दिया गया था। एक बार फिर कोरोना की नई लहर के चलते पुराने प्रतिबंध वाली व्यवस्था लागू कर दी गई है। इसके साथ ही मंदिर परिसर में कोई भी बिना मास्क के प्रवेश नहीं कर सकता है, वहीं और मंदिर प्रशासन की तरफ से श्रद्धालुओं का पूरा ख्याल रखा जा रहा है, सैनिटाइजेशन की व्यवस्था भी की गई है।