नई दिल्ली। कोविड-19 की वैश्विक महामारी आने के बाद से दुनिया में नौ लोग नए अरबपतियों की सूची में शामिल हो गए हैं। इसका पूरा श्रेय जाता है कि पीपुल्स वैक्सीन एलायंस को जिसके एकाधिकार के तहत कोरोना वैक्सीन बनाने वाली फार्मा कंपनियां बेतहाशा मुनाफा कमा रही हैं।

आक्जेम हेल्थ पालिसी की मैनेजर एना मैरिओट का कहना है कि ये नौ नए अरबपति उस बड़े मुनाफे का मानवीय चेहरा हैं, जो कई फार्मा कारपोरेशन कोविड-19 वैक्सीन पर अपने एकाधिकार के जरिये कमा रही हैं। कोविड-19 वैक्सीन से हुए मुनाफे ने कम से कम नौ लोगों की अरबपति बनने में मदद की है। साथ ही वैक्सीन प्रौद्योगिकी पर फार्मास्यूटिकल कारपोरेशन के ‘एकाधिकार नियंत्रण’ को समाप्त करने का आह्वान भी किया है। पीपुल्स वैक्सीन अलायंस ने एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस वैक्सीन की वजह से जो नौ लोग अरबपति क्लब में शामिल हुए, उनकी कुल मिलाकर दौलत 19.3 अरब डालर (15.8 अरब यूरो) है।

भारतीय करेंसी में आंकें तो यह दौलत लगभग 1411.22 अरब रुपये बैठती है। पीपुल्स वैक्सीन अलायंस का कहना है कि यह दौलत कम आय वाले देशों में सभी लोगों को 1.3 बार पूरी तरह से वैक्सीन लगाने के लिए पर्याप्त है। अलायंस का कहना है कि ये आंकड़े फो‌र्ब्स के रिच लिस्ट डाटा पर आधारित हैं।

नौ नए अरबपतियों में टॉप पर

अलायंस का हिस्सा एना मैरिओट का कहना है कि ये नौ नए अरबपति उस बड़े मुनाफे का मानवीय चेहरा हैं, जो कई फार्मा कारपोरेशन कोविड-19 वैक्सीनों पर अपने एकाधिकार के जरिये कमा रही हैं। वैक्सीन से अरबपति बने नए लोगों की लिस्ट में टॉप पर माडर्ना के सीईओ स्टीफेन बैंसल और बायोएनटेक के सीईओ उगुर साहिन हैं। अन्य तीन नए अरबपतियों में 1.3 अरब डालर की चीन की वैक्सीन कंपनी कैनशिनो बायोलाजिक्ल्स के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी और सह-संस्थापक शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त आठ मौजूदा अरबपतियों में वैक्सीन बनाने वाले फार्मा कॉरपोरेशन के लोग हैं। इसमें पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के संस्थापक सायरस पूनावाला भी शामिल हैं जिन्होंने वर्ष 2021 में 12.7 डालर की संपत्ति अर्जित की है। पिछले साल 8.2 अरब डालर कमाए थे। इसके अलावा, कैडिला हेल्थकेयर के पंकज पटेल ने इस साल पांच अरब डालर कमाए और पिछले साल 2.9 अरब डालर कमाए हैं। यह रिसर्च उस वक्त सामने आई है, जब शुक्रवार को इस साल का ग्लोबल हेल्थ समिट है। इस बैठक में कोविड की वैक्सीनों से इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी प्रोटेक्शन को अस्थायी तौर पर हटाए जाने की मांगों पर चर्चा हो सकती है। इससे विकासशील देशों में वैक्सीन का उत्पादन बढ़ेगा।