रायपुर- कोरोना के मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के वर्चुअल बैठक के प्रस्ताव को बीजेपी ने खारिज कर दिया है. बीजेपी ने नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार को अलोकतांत्रिक और अनुभवहीन सरकार करार दिया है. बीजेपी ने अपने आरोप में कहा है कि सरकार को यह तक नहीं पता कि विपक्ष के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है. यह सरकार आज भी अपने आपको विपक्ष में समझ रही है. दरअसल बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर चर्चा के लिए वक्त मांगा था. उन्होंने कहा था कि कोरोना के मौजूदा हालात पर बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल चर्चा करना चाहता है. साय के इस पत्र के जवाब में मुख्यमंत्री ने बीजेपी नेताओं से 12 मई को वर्चुअल बैठक करने की सहमति दी थी.

मुख्यमंत्री की ओर से भेजे गए जवाब के बाद सियासत गर्मा गई. प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर और सांसद सुनील सोनी ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेस कर सरकार पर जमकर निशाना साधा. प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि छत्तीसगढ कोरोना महामारी के दूसरे दौर से गुजर रहा है. स्थिति भयावह है. शहर के साथ-साथ गांवों में भी फैल रहा है. बस्तर से जशपुर तक के गांवों में वायरस पहुंच चुका है. ग्रामीण इलाकों में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में किसी तरह की व्यवस्था नहीं है. ना तो खाना है और ना ही दवाई है. त्राहिमाम मचा हुआ है. हजारों की संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं, सैकड़ों की तादाद में रोजाना लोगों की जान जा रही है. बीजेपी चाहती थी कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात हो, लेकिन अफसोस है कि मुख्यमंत्री ने समय नहीं दिया. ट्वीट में आया जवाब उचित नहीं है. उन्होंने 12 तारीख को वर्चुअल बैठक के लिए सहमति दी है. हम इसकी निंदा करते हैं. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राज्य में बढ़ते कोरोना के आंकड़ों के लिए कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है. जब यहां महामारी फैल रही थी, मुख्यमंत्री असम में चुनाव में व्यस्त थे. क्रिकेट करने और देखने में व्यस्त थे. आज विपक्ष की भूमिका के नाते हम चाहते हैं कि सब मिलकर काम करे. हम मुख्यमंत्री को सुझाव देना चाहते थे, लेकिन उन्होंने समय नहीं दिया. चार दिन बाद का समय और वह भी वर्चुअल बैठक के लिए यह ठीक नहीं है. इस वक्त एक-एक समय मूल्यवान है.
विष्णुदेव साय ने कहा कि राज्य की यह स्थिति है कि लोगों को आज दवाई नहीं मिल रही लेकिन शराब घर-घर पहुंच रही है.  वैक्सीनेशन का मजाक बना दिया गया है. कोवैक्सीन आया, तब स्वास्थ्य मंत्री ने भ्रम फैलाया था, आज वैक्सीनेशन के लिए लोग पीछे हट रहे हैं. वैक्सीन करने जाने वाली टीम के साथ अभद्र व्यवहार किया जा रहा है. मारपीट के हालात भी बन रहे हैं. यह सरकार की वजह से हुआ है. वैक्सीनेशन को लेकर हाईकोर्ट की फटकार भी सरकार को लगी है. उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन की कमी की एक बड़ी वजह यह भी रही कि सरकार ने कंपनियों को आदेश देरी से दिया. राज्य सरकार केंद्र पर सारा आरोप थोप रही है, यही सरकार की नियति हो गई है. प्रदेश अध्यक्ष ने पूछा कि सरकार ने कितनी वैक्सीन का आदेश कंपनियों को किया है? कितनी राशि का भुगतान किया है? यह जानकारी सरकार साझा करें. कंपनियों को राशि का भुगतान किए जाने के बाद ही वैक्सीन की खेप आएगी? साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में ढाई लाख वैक्सीन खराब हो गया. केरल में सरकार ने सौ फीसदी वैक्सीनेशन का इस्तेमाल किया है. राज्य को केरल से सीखना चाहिए. उन्होंने पत्रकारों को फ्रंट लाइन वर्कर घोषित किए जाने की मांग करते हुए कहा कि पत्रकार भी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं, उन्हें भी फ्रंटलाइन वर्कर घोषित करे, इसकी हम मांग करते हैं.

सरकार रेमडेसिविर नहीं दे सकी, अब लोगों के घरों में शराब जरूर देगी- धरमलाल कौशिक

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि राज्य में कोरोना की दर घट नहीं रही, क्योंकि सरकार ने टेस्ट करना बंद कर दिया है. एक ब्लॉक में सिर्फ ढाई सौ किट दिया जा रहा है, जबकि आबादी तीन लाख से पांच लाख तक होता है. टेस्टिंग का दायरा बढ़ाएंगे, तो आंकड़े बढ़ेंगे. सरकार के रिकार्ड में संक्रमित मरीजों का जो आंकड़ा दिख रहा है, मौतों का आंकड़ा दिख रहा है, यह बेहद कम है. जमीन पर कहीं ज्यादा है. सरकार आंकड़ों को छिपा रही है. कौशिक ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार को वैक्सीन दी, लेकिन वैक्सीन समय पर नहीं लग रहा है. वैक्सीन को लेकर लोगों में भ्रम फैलाया जा रहा है. सरकार लोगों को जागरूक नहीं कर रही है, लेकिन भय जरूर फैला रही है. 18 से 44 वर्ष उम्र के दायरे में एक करोड़ 35 लाख लोग राज्य में है. दो डोज लगाने पर तीन लाख डोज की जरूरत होगी. अंत्योदय के लिए सेंटर इतनी दूर बनाए गए हैं, वहां लोग नहीं आ रहे, वैक्सीन के डोज खराब हो रहे हैं. आपदा को अवसर में बदलने का उदाहरण छत्तीसगढ़ सरकार की दिखती है. सिरप पीकर नौ लोगों की मौत हो गई और उधर सरकार ने शराब की होम डिलीवरी शुरू कर दी. लोगों की मौत के बहाने शराब लोगों तक पहुंचा रही है सरकार. रेमडेसिविर इंजेक्शन सरकार लोगों को नहीं दे सकी, लेकिन अब शराब जरूर देगी.

सरकार का तानाशाही भरा चेहरा सामने आया, बहुमत की दादागिरी है- बृजमोहन अग्रवाल

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कोरोना काल में सरकार का तानाशाही भरा चेहरा सामने आया है. प्रदेश अध्यक्ष पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से मिलने का समय चाहते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के पास मिलने के लिए समय नहीं है. मुख्यमंत्री जब वर्चुअल कांफ्रेंस करते हैं तो अधिकारी आसपास बैठे होते हैं, कोरोना का बहाना कर सरकार अपने दायित्व से भाग रही है. चर्चा से मुंह छिपा रही है. 18 से 44 साल के नौजवानों को मौत के मुंह में धकेल रही है, लेकिन सरकार इस पर चर्चा नहीं करना चाहती. हम सरकार से जवाब चाहते हैं. उन्होंने कहा कि 15 करोड़ में पांच लाख वैक्सीन आएगी. केंद्र ने कंपनियों को 34 सौ करोड़ कंपनियों को वैक्सीन के लिए एडवांस दिया है. राज्य को तीन करोड़ इंजेक्शन चाहिए, क्या सरकार कंपनियों को सौ करोड़-पांच सौ करोड़ एडवांस नहीं दे सकती. केंद्र ने 45 से ऊपर उम्र के लोगों के लिए पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध कराई है, लेकिन वैक्सीन सेंटरों में क्यों नहीं पहुंच रही है. बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि निजी अस्पतालों को वैक्सीन खरीदने की अनुमति सरकार क्यों नहीं दे रही है. सरकार घर-घर शराब पहुंचाने की बजाए भर-भर वैक्सीन लोगों तक पहुंचाए. सरकार बहुमत की दादागिरी कर रही है.  पूर्व मंत्री ने गर्मी का धान खरीदने के लिए कृषि उपज मंडी खोले जाने की मांग भी की है. उन्होंने कहा कि किसानों के पास आज इलाज कराने के लिए भी पैसा नहीं है. मंडी में धान बिकेगा, तो कम से कम किसानों के हाथ पैसा होगा. बृजमोहन अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि वैक्सीनेशन सेंटरों में कांग्रेस के लोगों की दादागिरी चल रही है. अभनपुर और आरंग में जाकर जबरदस्ती अपने लोगों को वैक्सीन लगाई है.

रजिस्ट्री कार्यालय खोला, लोग अपनी जमीनों को बेचकर इलाज करा रहे- सुनील सोनी

इधर बीजेपी सांसद सुनील सोनी ने कहा कि  बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलना चाहता था, लेकिन इतना डरा हुआ, भयभीत मुख्यमंत्री हमने नहीं देखा, जो जवाब देने से बच रहा है. वह ये बताने से बच रहे हैं कि लोग कोरोना से क्यों मर रहे हैं ? इसी राज्य में सरकार ने आंकड़ा जारी कर कहा था कि हम राज्य में हर रोज चार लाख इंजेक्शन लगा रहे हैं, लेकिन आज क्यों नहीं लग रहा. सरकार के पास पैसा है, लेकिन खर्च करने की नियत नहीं है. सांसद ने कहा कि  शराब पर सेस लगाकर कोरोना के लिए पैसे लेते हैं, लेकिन जब कोरोना चरम सीमा पर पहुंच गया, तब उस राशि को खर्च सरकार नहीं कर रही है. ये तानाशाही रवैया है. हम चुनौती देते हैं कि चार गज की दूरी में हमसे बात कीजिए. हम राज्य के लोगों के हित पर बात करना चाहते हैं, हम राजनीति नहीं करना चाहते. सरकार ने रजिस्ट्री कार्यालय खोला है, लेकिन आज लोग जमीन बेचकर इलाज के लिए पैसा जोड़ने वहां जा रहे हैं.

सरकार बहुमत के घमंड में है- अजय चंद्राकर

पूर्व मंत्री और बीजेपी के विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि ये असंवेदनशील अलोकतांत्रिक सरकार यह भी नहीं जानती कि विपक्ष के साथ कैसा व्यवहार किया जाए. मुख्यमंत्री प्रत्यक्ष नहीं मिलना चाहते, उनका यह रवैया बताता है कि उनके पास कोरोना से निपटने की कोई योजना नहीं है. वह इस पहलू को साझा नहीं करना चाहते, इसलिए मिलने से बच रहे हैं. चंद्राकर ने कहा कि पांच लाख से ज्यादा लोग पीड़ित है, लेकिन आय़ुष्मान भारत योजना से सिर्फ पांच हजार लोगों का ही इलाज हुआ है. सरकार आयुष्मान के लिए निर्देश जारी करती है, लेकिन उसका पालन नहीं करा सकती. यह सरकार फ्रंटलाइन वर्कर की परिभाषा को नहीं समझती. उन्होंने कहा कि इस सरकार ने अब तक राहत राशि की घोषणा नहीं की है. राहुल गांधी ने कहा था कि प्रवासी मजदूरों को छह हजार राहत राशि दी जाए, जो लोग अपने नेता का सम्मान नहीं कर सकते, विपक्ष का क्या सम्मान करेंगे. गरीबों, प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार क्या कर रही है, हम यह जानना चाहते थे. पूर्व मंत्री ने कहा कि सरकार शराब बेच रही है और लाशों का आडिट कर रही है, जिला स्तर पर लाशों की गिनती कुछ और है, और राज्य स्तर पर कुछ और है. सरकार में बहुमत का घमंड है. संयुक्त लड़ाई से सरकार पीछे हट रही है. हम सेवा कार्य जारी रखेंगे. समाज और केंद्र सरकार की मदद से यह लड़ाई जारी रखेंगे. वर्चुअली बैठक में शामिल होने से जुड़े सवाल पर जवाब देते हुए अजय चंद्राकर ने कहा कि ये सरकार जिस दिन हमे सम्मानपूर्वक बुलाएगी, हम उस दिन विचार करेंगे.-