नई दिल्ली | कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ रहे कोरोना योद्धाओं में हिसार का नाम भी जुड़ गया है। हिसार में जन्मे डीआरडीओ के चीफ साइंटिस्ट सुधीर चांदना और उनकी टीम ने देश को बड़ा उपहार दिया है। इसमें उत्तर प्रदेश के बलिया और गोरखपुर के नाम भी उपलब्धि दर्ज हुई है। 2-डियोक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) दवा की खोज करने वाली टीम में शामिल डॉ. सुधीर चांदना ने एचएयू से एमएससी पास की थी।

हिसार के सेक्टर- 13 में रहने वाले विनित चांदना ने बताया कि शनिवार को ही छोटे भाई डॉ. सुधीर चांदना से मोबाइल पर बात हुई। 2-डीजी दवा की खोज पूरी होने पर डॉ. सुधीर बेहद खुश थे। उन्होंने कहा कि भाई साहब आखिर हम कामयाब हो गए… हमने कोरोना को हराने के लिए दवा बना ली है। अप्रैल 2020 से डॉ. सुधीर टीम के साथ कोरोना की दवा पर काम कर रहे थे। इस दौरान उनको कई बार असफलता भी मिली लेकिन उन्होंने प्रयास जारी रखे|

देश के लिए कोविड की पहली दवाई खोजने वाले डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनंत नारायण भट्ट का कहना है कि इस टू डी-ऑक्सी डी ग्लूकोज दवा की कीमत सामान्य रहेगी। मेडिसिन के प्रोडक्शन के साथ ही कीमत और कम हो जाएगी। यह समाज के हर तबके लिए उपलब्ध कराई जाएगी। इस दिशा में काम चल रहा है।

गोरखपुर निवासी डॉ. अनंत नारायण भट्ट डीआरडीओ के नाभिकीय औषधि एवं संबल विज्ञान संस्थान में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। डॉ. अनंत ने 1994 में किसान इंटरमीडिएट कॉलेज गगहा से इंटर की पढ़ाई पूरी की है। बीएससी बायोलॉजी बस्ती के शिवहर्ष किसान पीजी कॉलेज से किया है। एमएसएसी जैव रसायन डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या तो पीएचडी सीडीआरआई लखनऊ से किया है|

कोरोना के इलाज में गेम चेंजर दवा टू डीजी बनाने वालों में शामिल बलिया जिले के लाल डॉ. अनिल कुमार मिश्रा सिकंदरपुर के मिश्र चक निवासी हैं। उनकी उपलब्धि से जिले में हर्ष का माहौल है। इसके पूर्व सिकंदरपुर क्षेत्र के लीलकर गांव निवासी डॉ संजय राय ने कोवैक्सीन के मामले में प्रमुख भूमिका निभाई थी। सिकंदरपुर से दो किमी दूर पर स्थित छोटे से गांव मिश्रचक निवासी डॉ. अनिल कुमार मिश्रा ने कक्षा एक से आठवीं तक की पढ़ाई जूनियर हाई स्कूल सिकंदरपुर में की।

इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए वे गोरखपुर चले गए। 1984 में उन्होंने एमएससी(रसायन विज्ञान) की पढ़ाई गोरखपुर विश्वविद्यालय से की। 1988 में उन्होंने बीएचयू से पीएचडी की। इस बाद वह तीन साल तक पोस्ट डॉक्टोरल फेलो के साथ प्रोफेसर रॉजर गुइलार्ड के साथ बर्गोग्ने विश्वविद्यालय, डीजन, फ्रांस में और प्रोफेसर सीएफ मेयर्स, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय और डेविस, यूएसए के साथ रहे। वह 1994- 1997 तक इनसेरम, नैनटेस, फ्रांस में प्रोफेसर चटल के साथ अनुसंधान वैज्ञानिक रहे|