नईदिल्ली I पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने दो दशक से अलग रहने के बावजूद आपसी सहमति से तलाक न लेने के पत्नी के निर्णय को पति के प्रति क्रूरता मानते हुए तलाक के आदेश को मंजूरी दे दी है। पति ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा कि उसका विवाह 1990 में नारनौल में हुआ था और विवाह के बाद से ही पत्नी का व्यवहार याची के प्रति सही नहीं था।

याची की पत्नी मानसिक तौर पर बीमार थी और अक्सर हिंसक हो जाती थी। कई बार उसने याची पर हमला भी किया। उसके इलाज का बहुत प्रयास किया गया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। याची ने बताया कि उसकी पत्नी उसके लिए खाना भी नहीं बनाती थी और कई बार याची को भूखे पेट ही सोना पड़ता था। इसके बाद अचानक वह घर छोड़कर चली गई।

याची ने तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में याचिका दाखिल की तो वहां पर पत्नी इन सभी आरोपों से मुकर गई। उसने बीमार होने की बात को गलत बताया और यह भी कहा कि उसने कभी अपने पति और बच्चों पर हमला नहीं किया। नारनौल की अदालत ने याची की तलाक से संबंधित याचिका को 2004 में सिरे से खारिज कर दिया जिसके बाद याची ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की।

हाईकोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता के माध्यम से दंपती को फिर से एक करने का प्रयास किया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। इस मामले में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि दंपती दो दशक से अलग-अलग रहे हैं और ऐसे में इस विवाह के बचे रहने की संभावना समाप्त हो गई है।

ऐसे में भी पत्नी तलाक लेने से इनकार कर रही है जो पति के प्रति क्रूरता है। हाईकोर्ट ने तलाक की याचिका को मंजूर करते हुए याची को आदेश दिया कि वह 10 लाख रुपये एक मुश्त अपनी पत्नी को उपलब्ध करवाए।