नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच वैक्सीन की कमी लोगों को सताए जा रही है. भारत में वैक्सीन सप्लाई की रफ्तार भी धीमी है. देश में कोरोना को मात देने के लिए बनाई जा रही वैक्सीन में गड़बड़ियां देखने को मिल रही है. सरकारी आंकड़े और कंपनी के आंकड़े मेल नहीं खा रहे हैं. भारत बायोटेक की कंपनी कोवैक्सीन के करीब 4 करोड़ डोज का हिसाब सही नजर नहीं आ रहा है. इसमें गड़बड़ियां दिख रही है. मीडिया रिपोर्ट्स इसको लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं.
4 करोड़ कोरोना टीका गायब !
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक देशी कंपनी भारत बायोटेक की ओर से अब तक करीब 8 करोड़ वैक्सीन बनाए गए होंगे. जबकि केवल 2.1 करोड़ डोज का इस्तेमाल किया गया है. अगर 2 करोड़ डोज विदेश भी भेजे गये होंगे तो बाकी के 4 करोड़ डोज कहां गए. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस्तेमाल और उत्पादन के आंकड़े मेल नहीं खा रहे हैं.
भारत बायोटेक ने किया दावा
केंद्र ने वैक्सीन को लेकर हाई कोर्ट में दो अलग-अलग हलफनामे दाखिल किये थे. इनमें से एक में 24 मई को कहा गया था कि भारत बायोटेक एक महीने में कोवैक्सीन के 2 करोड़ डोज तैयार कर रहा है. 5 जनवरी को टीकाकरण अभियान की शुरुआत होने से पहले ही एला ने कहा था कि कंपनी ने वैक्सीन के 2 करोड़ डोजका स्टॉक कर लिया है. अगर जनवरी, फरवरी और मार्च में उत्पादन कम भी हुआ होगा तो अब तक 8 करोड़ डोज का उत्पादन होना चाहिए.
अब बात करते हैं वैक्सीन के विदेश भेजने की. भारत ने डिप्लोमेसी की वजह से वैक्सीन के कुछ डोज विदेशों को दिया था. सरकार के अनुसार अब तक करीब 6.6 करोड़ वैक्सीन के डोज विदेश भेजे गये. इनमें से अधिकतर कोविशील्ड के डोज थे. ऐसे में सरकार ने अगर 2 करोड़ कोवैक्सीन के डोज विदेश भेजे हैं तो भी 4 करोड़ और डोज देश के पास बचे होने चाहिए.
सीधा हिसाब यह लगाया गया है कि 2 करोड़ डोज देश में लगाये गये, 2 करोड़ डोज विदेश भेजे गये. कंपनी की क्षमता के हिसाब से अब तक 8 करोड़ डोज का उत्पादन किया गया होगा. ऐसे में 4 करोड़ वैक्सीन के डोज कहां गये? बता दें कि भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैक्सीन कोविशील्ड और भारत बायोटेके का कोवैक्सीन शुरुआत से ही वैक्सीनेशन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.