गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही। वन विभाग मरवाही मंडल अपनी निर्माण तकनीक की वजह से लगातार सुर्खियों में बना रहता है, जिसकी बानगी गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिला में सबसे बड़े पर्यटन स्थल नेचर कैम्प में नजर आती है, जहां गगनई डैम पर बने बांस के पुल पर बिना सरिया के कांक्रीट की ढलाई कर दी गई है. अब सवाल यह है कि इस निम्न स्तरीय पुल के गिरने से होने वाले जानमाल के नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार होगा.
डैम में आने वाले पर्यटनों की संख्या को देखते हुए एक तरफ जहां उनकी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए गुणवत्तायुक्त पुल का निर्माण कराया जाना चाहिए था, लेकिन इसके उलट इस सरिया रहित पुल में बहुत ही पतला जंग लगे एंगल का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस पर पुल की गुणवत्ता और निर्माण का तकनीकी पक्ष के संबंध में सेतु विभाग के इंजीनियर से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि पुल के पिलर पहले से ही कमजोर है, जिस पर दरारें देखी जा सकती है. पुल को जरूरत से ज्यादा कांक्रीट से ओवर लोड कर दिया गया है, यही नहीं किसी भी प्रकार का क्रॉस बीम निर्माण में नही किया गया है. पानी की नमी के कारण बांस और सरिया रहित कांक्रीट ज्यादा दिन नही ठीक सकेगा.
वहीं निर्माण स्थल पर वन विभाग के किसी भी कर्मचारी का न होना भी सन्देह के दायरे में आ रहा है. इस संबंध में जानकारी के लिए जब मरवाही रेंजर दरोगा सिंह से संपर्क किया गया तो उनका फ़ोन लगातार बजता रहा पर रिसीव करना उचित नहीं समझा.वहीं मौके पर विभाग कोई रेंजर, डिप्टी रेंजर, बीट गार्ड का न होना घटिया निर्माण को बढ़ावा दे रहा है. सवाल है कि इस प्रकार के निर्माण से यदि में भविष्य की किसी प्रकार की कोई घटना अगर होती है, तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा. बता दें कि प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही को पर्यटन हब के रूप में स्थापित करने की घोषणा कर चुके है, उनकी इस महत्वकांक्षा को वन विभाग मरवाही वन मंडल पलीता लगाता हुआ दिख है.