जज को सुनकर देर तक रोते रहे पिता-पुत्र

जयपुर 11 जुलाई 2021। …जज के बस एक श्लोक से बाप-बेटे में सालों से चला आ रहा मुकादमा मिनटों में खत्म हो गया। जो बेटा अपने बाप को फूटी आंख नहीं सुहा रहा था….जो बाप अपने बेटे को हर पल कोसता था..वो दोनों जज की बातों पर इस कदर निहाल हुए कि घंटों तक अपनी आंखों को पोछते रहे। मामला राष्ट्रीय लोक अदालत का है। राजस्थान के जयपुर स्थित आसोपागांव का एक मामला अदालत में निपटारा के लिए आया हुआ था। बेटे ने बाप के ऊपर संपत्ति के लिए मुक़दमा कर रखा था और बाप ने भी बेटे के ऊपर देखभाल नहीं करने का केस दर्ज कराया था.

जोधपुर के जिला एवं सेशन न्यायाधीश राघवेंद्र काछवाल ने मुक़दमे की सुनवाई के बाद संस्कृत में श्लोक का उच्चारण करते हुए कहा कि पिता के प्रति पुत्र का फर्ज होता है. उन्होंने कहा.

पिता धर्म: पिता स्वर्ग: पिता हि परमं तप:। पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवता:

उसके बाद बाप और बेटे दोनों को श्लोक का अर्थ समझाते हुए कहा कि पिता धर्म हैं, पिता स्वर्ग हैं और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तप हैं. पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं.

ज़िला जज के व्याख्यान से पिता और पुत्र दोनों की आंखों में आंसू भर आए और दोनों ने मुकदमा जारी रखने के बजाए जज साहब से राज़ीनामे के लिए बोला और इस तरह से बाप बेटे के बीच चल रहा विवाद खत्म हो गया. पिता पुत्र के विवाद को इस अनोखे तरीके से खत्म कराने की लोग तारीफ कर रहे हैं. जोधपुर में राष्ट्रीय लोक अदालत में राज़ीनामे में और प्री लिटिगेशन के 180 मुकदमों का आपसी समझौते से निस्तारण किया गया.