नई दिल्ली। भारत के उत्तर-पूर्व में पहली बार डेल्टा प्लस का मामला सामने आया है। ये मामला त्रिपुरा में आया है। इससे पहले उत्तर पूर्व के असम, मणिपुर और मिजोरम में डेल्टा वैरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं। अगरतला सरकारी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी डिर्पाटमेंट के प्रमुख प्रोफेसर डॉक्टर तपन मजूमदार का कहना है कि त्रिपुरा से कुछ सैंपल पश्चिम बंगाल के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जिनोमिक में जांच के लिए भेजे गए थे। जांच के बाद 138 मामले डेल्टा प्लस और 10 मामले डेल्टा वैरिएंट के सामने आए हैं। इसके अलावा तीन मामले एल्फा वैरिएंट के भी सामने आए हैं , जो सबसे पहली बार ब्रिटेन में पाया गया था।
डॉक्टर तपन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण निदेशालय और कोविड-19 सर्विलांस अधिकारी दीप कुमार की मौजूदगी में बताया कि डेल्टा प्लस स्ट्रेन अधिक संचरित होता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है। उन्होंने बताया है कि त्रिपुरा के सभी आठ जिलों से इसके मामले सामने आना गंभीर चिंता का विषय है। वहीं कुछ जिलों में एल्फा वैरिएंट के मामले भी सामने आए हैं। उन्होंने ये भी कहा है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट कोविड-19 वैक्सीन के प्रभाव को भी कम कर देता है।