अलीगढ़। पान मसाले में कई कंपनियां कत्था नहीं बल्कि चमड़े को रंगने वाले केमिकल गैंबियर मिला रही हैं। अलीगढ़ में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) द्वारा लिए गए शिखर, प्रधान व पानबहार मसालों के नमूनों की रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है। गैंबियर कानपुर की टेनरियों में चमड़े को रंगने में प्रयोग किया जाता है।

पान मसाले के सेवन से कैंसर हो सकता है। इसके बावजूद लोग इसका सेवन करते हैं। जिस पानमसाले में कत्था, केसर सहित अन्य पदार्थों के मिलाने का दावा किया जाता है। उसको लेकर चौंकाने वाला खुलासा अलीगढ़ में एफडीए द्वारा अक्तूबर 2021 में लिए पान मसाले की नमूना रिपोर्ट में हुआ है। विभाग द्वारा उदयसिंह जैन रोड स्थित वार्ष्णेय एजेंसीज के यहां से शिखर, प्रधान व पानबहार पान मसाले का नमूना भरकर लेब्रोट्ररी में जांच के लिए भेजा गया था। अब लैब से आई रिपोर्ट में पान मसाले में कत्थे का मिश्रण नहीं पाया गया है बल्कि उसमें चमड़े को रंगने में प्रयोग किए जाने वाले गैंबियर मिलाने की पुष्टि हुई है। मामले में कंपनियों को नोटिस जारी किया है।

सस्ते पान मसाले का प्रयोग

एफडीए डीओ सर्वेश मिश्रा ने बताया कि गैंबियर कानपुर की टेनरियों के नाम पर आता है लेकिन इसका इस्तेमाल सस्ते पान मसाला और गुटखा बनाने में होता है।

इंडोनेशिया से आता है गैंबियर

इंडोनेशिया में गैंबियर बबूल के जंगलों की तरह फैला हुआ है। यह पेड़ की छाल, पत्तियों और जड़ को पीसकर बनाया जाता है। भारत आने से पहले इसका कई चरणों में रसायनों को भी मिलाया जाता है। गैंबियर का इस्तेमाल चमड़े की टैनिंग में किया जाता है। यानि यह कच्चे चमड़े को पकाने का काम करता है।