नई दिल्ली। Common Myths About Men: लड़कों की परवरिश करते समय कई बार अनजाने में ही परिवार और समाज के लोग उनके कोमल मन में कुछ ऐसी चीजें भर देते हैं जिनका बोझ उन्हें न चाहते हुए भी जिदंगी भर उठाना पड़ता है। समय के साथ पुरुष भी इन बातों को सच मानकर उन पर विश्वास करने लगते हैं। जो आगे चलकर उनके लिए चिंता, तनाव, अवसाद जैसी कई मेंटल प्रॉब्लम्स का कारण बनता है। क्या आप भी दूसरे लोगों की तरह पुरुषों से जुड़े इन मिथकों को सच मानते हैं। आइए जानते हैं क्या है इनकी सच्चाई।
मर्दों में नहीं होते इमोशन्स –
मर्दों को अक्सर सख्त मिजाज कठोर छवि वाला समझा जाता है। जबकि असलियत में वो बेहद सरल दिल के होते हैं। लोगों को लगता है कि मर्दों में इमोशन्स नहीं होते ये तो सिर्फ घर महिलाओं का गहना होते हैं। मगर सच्चाई यह है कि मर्द अपने इमोशन्स को दिखाते नहीं हैं। उन्हें बचपन से समझाया जाता है कि इमोशनल होना या भावनाएं दिखाना कमजोरी की निशानी होती है।
मर्द रोते नहीं है-
आपने यह जुमला तो कई बार सुना ही होगा, ‘मर्द को दर्द नहीं होता’, ज्यादातर भारतीय परिवारों में लड़कों को बचपन से यही सिखाया जाता है कि मर्द को दर्द नहीं होता, वो रोते नहीं हैं। दर्द महसूस होना और रोने को महिलाओं से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन एक्सपर्ट्स भी इसे पूरी तरह भ्रम मानते हैं। मानव शरीर में मौजूद बाकी भावनाओं की ही तरह रोना भी एक तरह की भावना है। रोने से व्यक्ति ना सिर्फ हल्का महसूस करता है, बल्कि पहले से ज्यादा मजबूत बनकर खड़ होता है। अकेले में लड़के भी रोते हैं।
सपोर्ट की नहीं जरूरत-
अक्सर पुरुषों के बारे में यह माना जाता है कि वो भीतर से इतने मजबूत होते हैं कि सारे काम अकेले ही कर सकते हैं। उन्हें किसी के साथ या सहारे की कोई जरूरत नहीं होती है। जबकि हकीकत में ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है। हर व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, जब वह खुद को बिल्कुल अकेला समझने लगता है। ऐसे समय में मिला इमोशनल सपोर्ट भले ही स्थितियों को नहीं बदल सकता लेकिन किसी अपने का मिला साथ पुरुषों के संघर्ष को कम जरूर कर सकता है।
पुरुष होते हैं ज्यादा गुस्सैल-
ज्यादातर लोग पुरुषों के चेहरे के हाव-भाव देखकर उन्हें गुस्सैल समझने लगते हैं। जबकि गुस्सा स्वभाव से जुड़ा हुआ होता है न कि किसी किसी लिंग से, महिला हो या कोई पुरुष गुस्सा किसी को भी कभी भी आ सकता है। गुस्सा व्यक्ति को अक्सर तब आता है, जब वह अपनी फीलिंग्स पर कंट्रोल नहीं रख पाता है या उसे दूसरे व्यक्ति के साथ शेयर नहीं कर पाता है। इसे सिर्फ पुरुषों के स्वभाव से जोड़कर देखना मात्र भ्रम है।
कपड़े कोई नहीं देखेगा
ज्यादातर पुरुषों के बारे में यह माना जाता है कि वो कैसे भी दिखें लेकिन सामने वाला उन्हें कपड़ों से नहीं बल्कि कैरेक्टर के हिसाब से जज करेगा। यही वजह है कि पुरुष अपने कपड़ों को इतनी अहमियत नहीं देते हैं। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता है। इसलिए अपनी ड्रेसिंग को मौके के हिसाब से तय करने से अच्छा है कि हमेशा अच्छे लगने की कोशिश की जाए।