कोरबा (पसान)| भूमिहीनों को बीस सूत्री कार्यक्रम के तहत आवंटित की गई भूमि को बीस सूत्री पट्टा भूमि कहा जाता है दरअसल वर्ष 1970 से 1989 के मध्य बीस सूत्री कार्यक्रम के तहत गरीबों के विकास व उत्थान के लिए जरूरतमंदों को काफी भूमि आवंटित की गई थी। भूमि प्रदान करने का उद्देश्य यह था कि इस भूमि पर कृषि कार्य करके वे अपनी आजीविका चला सकें। बीस सूत्री कार्यक्रम के अंतर्गत आवंटित जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाना शशर्त में है ! किंतु शासन द्वारा दिए गए भूमि का उपयोग नही किया जाता बल्कि अवैध रूप से लाभ अर्जित करने के लिए भूमि का दुरुप्रयोग किया जाता है…!
दरअसल एक ताजा मामला कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपरिया का है जहां पिपरिया के ही निवासी होलसाय पुत्र समारू खसरा नं 311/2 , रकबा 0.182 वर्तमान कोटवार ग्राम समलाई को 20 से अधिक वर्ष पूर्व शशर्त 20 सूत्रीय पट्टा उक्त खसरा नंबर 311/2 से प्रदान की गई थी ! चुकी भूमि पट्टे के तहत प्रदान की गई थी जिसका उपयोग दिये गए व्यक्ति को खुद के जीवनयापन के लिए करना होता है।।। किंतु 20 वर्षो से होलसाय भूस्वामी तो है किंतु कब्जे में नही है … उस भूमि पर किसी अन्य भूमाफिया के द्वारा कब्जा करके रखा गया है…!
महत्वपूर्ण बात ये है की भुइया रिकॉर्ड में खसरा नंबर 311/2 जो की एक नंबर की भूमि है किंतु रिकॉर्ड की माने तो इस भूमि के 2 मालिक है …! भूस्वामी होलसाय व दूसरा कब्जाधारी भूमाफिया ..! इस प्रकार से भूमि व रिकॉर्ड में 2 मालिको का होना एक गम्भीर साजिश की और इशारा करता है साथ ही सोचनीय विषय ये है की एक भूमि जो की शासन से प्राप्त है उसके रिकॉर्ड के अनुसार 2 मालिक कैसे हो सकते है …! भूमि शासन की और से प्रदान की गई पट्टा शशर्त है ! अगर भूस्वामी काबिज नही है तो नियमानुसार पट्टे को निरस्त किया जाना चाहिए !
जबकि किया गया रिकॉर्ड दुरुस्तीकरण भी विधि विरुद्ध व राजस्व नियमो के विरुद्ध है …उक्त भूमि वर्तमान में राजस्व ऑनलाइन रिकॉर्ड में होलसाय के नाम पर दर्ज है परंतु ऑनलाइन रिकॉर्ड में ही कैफियत खाने में भूमाफिया का नाम दर्ज है जो की जांच का विषय है ! इस संबंध में ग्रामीणों ने उचित जांच कर कार्यवाही की मांग की है !