एक जैसे दो मामले के दो न्यायिक स्वरूप और न्याय की प्रक्रिया।
New high court building to be completed soon: Jharkhand govt to HC - Hindustan Times
पूर्व सरकारी कर्मी के द्वारा शिकायत
का फैसला पर कोर्ट की सुनवाई ;
चीफ जस्टिस को कानून सिखाने लगा धनबाद का अफसर, कहा, खड़े-खड़े जेल भेज देंगे, एक लाख जुर्माना भी लेंगे
 झारखंड हाई कोर्ट ने एक मामले में धनबाद के कोषागार पदाधिकारी को कहा कि अगर एक दिन में प्रार्थी को पेंशन भुगतान नहीं किया गया तो कोर्ट का आदेश का पालन नहीं किए जाने पर उन्हें यहां से जेल भेज दिया जाएगा और एक लाख का जुर्माना भी लगाया जाएगा।
प्रार्थी धनबाद के एक सरकारी अस्पताल से वर्ष 2021 में सेवानिवृत्त हुआ।
एक बार उन्हें पेंशन का भुगतान किया गया और बाद में उसे रोक दिया गया। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
एकल पीठ और खंडपीठ ने प्रार्थी को पेंशन भुगतान करने का आदेश दिया। लेकिन इसके बाद भी उन्हें पेंशन की राशि नहीं दी गई।
 इसके बाद उनकी ओर से हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई।
पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने कोषागार पदाधिकारी को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया था।
दूसरा उदाहरण बेहोशी का आलम
एक अदालती आदेश कालम ;
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग
नई दिल्ली पर दायर एक पीड़ित उपभोक्ता की ओर से पेश 2015 के एक प्रकरण में दिल्ली के आयोग ने   29.09.2015 को छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी  के अधिकारी को  राष्ट्रीय आयोग में  उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने का आदेश किया,
उन अधिकारियों ने उक्त आदेश के पन्ने को कूटकर भुर्ता बना कूड़ेदान में डाल दिया।
उपस्थित नहीं हुए तो उसे कोर्ट ने एक और आदेश किया उपभोक्ता कानून के आधार पर पेश किए उपभोक्ता का मामला जब तक इस कोर्ट से समाप्त नहीं हो जाता तब तक उपभोक्ता को यह न्यायालय संरक्षण अधिनियम के तहत संबंधित प्रकरण में संरक्षण देगा
अंतिम आदेश होने तक  विद्युत विभाग उपभोक्ता पर कोई भी कार्यवाही नहीं करेंगे।
New consumer protection Act comes into force today
उस आदेश का असर उल्टा हुआ – उपभोक्ता से विभागीय अधिकारियों ने अवैध वसूली करने की  कार्यवाही का ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गईं।जिसकी आवाज नई दिल्ली में बैठे हुए उन आदेशकर्ता जजों तक पहुंचा तो उन जजों के होश उड़ गए।
कारण जानकर आश्चर्य होगा
विद्युत उपभोक्ता की ओर से कोर्ट के अवमानना का एक और प्रकरण इस न्यायालय में पेश करते हुए कहा कि आपके न्यायालय के आदेश को छत्तीसगढ़ में सरकारी विद्युत वितरण कंपनी ने कूड़ेदान में फेंक कर  एक प्रकार से संबंधित आदेश कर्ताओं को तमाचा मार  दिया।
न्यायालय ने तमतमा कर एक और आदेश किया उन्होंने लिखा कि भारतीय संविधान निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडकर जी ने हमें अधिकार दिया है जिसका आपको पता होना चाहिए था।
 तुमने मेरे आदेश का पालन नहीं किया है बल्कि इस न्यायालय के आदेश का अपमान किया है इसलिए तुम 30.09.2016 को राष्ट्रीय आयोग पर उपस्थित होकर अपनी बात रखें ।
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आयोग के आदेश का कोई असर नहीं।
अब तो और भी खुराक मिल गया राज्य के विद्युत वितरण कंपनी को
आयोग के आदेश पत्र को बिजली का करेंट पर करेंट देते हुए आग लगा दी और उपभोक्ता के घर की लाईट 3 री बार बुझा दी गई।
और 2019 में उस न्यायालय में पेश होकर छाती ठोककर गर्व से कहा हमें आज तक आपने और आपके कोर्ट ने  कोई आदेश नहीं दिया।
तब राष्ट्रीय आयोग को हैरानी की जगह खुशी हो गई एकल जज के बेंच ने आदेश कर दिया उसमें उन्होंने न्यायालय के हुए पूर्व कार्यवाही आदेश का कोई उल्लेख तक नहीं किया और कचरे के डिब्बे में सभी पूर्व के आदेश को फेंक कर उस आदेश के पन्ने का नाम भी उल्लेख नहीं कर सके।
और आदेश पारित कर दिया !
आदेश में लिखा हम कुछ नहीं कर सकते छत्तीसगढ़ में सरकारी विद्युत का करेंट जोर से लगता है जिसकी आवाज और असर पूरे देश तक जाती है सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में लगे हुए बिजली कटौती को लेकर पहले ही एक प्रकरण को उपभोक्ता के विरुद्ध आदेश पारित कर दिया है।
उसमें क्या और कैसे कैसे घटनाएं घटित हुई उस समय और उस स्थान का कहीं पर भी इस वर्तमान प्रकरण पर मेल नहीं खाता।
समीक्षा में भी कोई बात नहीं बनी पंच परमेश्वर पांच जजों के बेंच ने भी छत्तीसगढ़ के करेंट से घबराकर कहा –
मामला बिजली की है हमारी हैसियत नहीं कि उस विभाग ने क्या किया हम समीक्षा में जांच नहीं करा सकते।
जो भी हुआ ठीक हुआ क्योंकि उपभोक्ता ने विभाग से बिजली का सेवा लिया है,
 विभाग जब चाहे जांच कर सकती है और किसी को भी चोर लिखने की छूट है। चाहे वह कोई पेपर बनाए  या न बनाए हमें कोई आपत्ति नहीं।
देश के बिजली उपभोक्ता जनता बड़े बेवकूफ है जो उस बिजली कंपनियों के खिलाफ शिकायत आवाज निकालेगा हम और हमारी हैसियत नहीं कि उस बिजली कंपनियों  के विरुद्ध फैसला दें।
आप सुप्रीम कोर्ट जाओ आपको न्याय जरूर मिलेगा हमारी सर्वश्रेष्ठ सेवा के लिए हमें फिर सूचित करें।
यही है हमारे देश में एक जैसे दो मामले के दो न्यायिक स्वरूप और न्याय की प्रक्रिया।
सुनंदा देवी एक समाजसेवी
संपादक
पंचशील जनमत,
कोरबा, छत्तीसगढ़