भारत के संवैधानिक वैधता की गरीमा को बनाए रखने हेतु प्रेरित

  • महिला विद्युतउपभोक्ता ने 8वर्ष में
  • नगर पुलिस अधीक्षक कोरबा को 40 लोकसेवकों पर एफ आईं आर, दर्ज किया
  • 47 पेज का साक्ष्यपेपर सहित 5 पेजों का शिकायत आवेदन-पत्र।
  • पुलिस के लिए होगी एक चुनौती

बिजली बिल के साथ एवं पूर्व बने 3 पेज के फर्जी पेपरों ने पिछले आठ वर्ष में एक विद्युत उपभोक्ता परिवार के दुखी व क्षुब्ध आठ प्रमुखों के ले ली जान, जिसमें संस्था के सेवाभावी वरिष्ठ संस्था फाउण्डर मेंम्बर सहित संस्था प्रमुख के नजदिकी रिश्तेदार भी है शामिल ।संस्था एवं परिवार के सर्वाअधिक विश्वसनीय समाज-सेवी संस्था संचालक पर बिजली चोरी करने के विभागीय पेपर बनाये जाना एवं देश-प्रदेश की लचीला कानून व्यवस्था आठ लोगों की मौत का कारण बना।

कोरबा जिले तो क्या छत्तीसगढ़ प्रदेश के तत्कालीन इंटेलिजेंट आई जी में भी पिछले आठ वर्षों में उस बिजली बिल को पहचानने की क्षमता नहीं हुई।

परन्तु अब मुझे कोरबा के सजग पुलिस टीम पर पूरा विश्वास है।

कोरबा प्रवास पर पहुंचे, आई जी डांगी ने पुलिस अधिकारियों को किये चार्ज- दिये सख्त निर्देश,

शनिवार 9 जनवरी को हुए मैराथन मीटिंग,एक सप्ताह के अंदर पुराने केश की फाइल पर एफआईआर दर्ज करने की कार्य – वाही जरूरी।

अब लोग कर सकेंगे वाट्स एप पर अपने शिकायत,

पिछले आठ वर्षो में जिस काम को छत्तीसगढ़ सरकार के पुलिस महकमे द्वारा नहीं किया जा सका, उसे एक सप्ताह में किये जाने की तैयारियां जोरों पर है।

नीचे दिखाई दे रहे बिजली बिल की सच्चाई को पहचान कर कोरबा पुलिस भारत देश की सरकार के साथ-साथ समाज सुधार के लिए प्रेरितकर्ता से अब एक 111001/रूपए का नगद पुरस्कार हासिल करेगी।

नीचे दिखाई दे रहे बिजलीबिल के सत्यापनकर्ता नोटरी और जिला उपभोक्ता फोरम कोरबा से लेकर छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता, आयोग रायपुर के तीन तत्कालीन पूर्व में कार्यरत आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों ने भी उस पेपर के कमी और उसके कीमत की पहचान नहीं कर सके।

उस पेपर को कब, क्यों और किसने बनवाया, अथवा बनाया है, सत्यता की जानकारी को जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष एवं सदस्यों ने जानकर भी नहीं जान सके,
जो 135 करोड़ उपभोक्ता समेत करोड़ो अजन्मे उपभोक्ताओं को भारतीय संवैधानिक विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर रही है।

जिसमें घीव डालने का काम किया है उस तरह के अनेक पेपरों के उपयोग करने को बढ़ावा देने वाले छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा नियुक्त उपभोक्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने वाले आयोग, जिसने

बिजली बिल को सत्यापनकर्ता ने कब और किसके दबाव में या कितना रूपए लेकर सत्यापित किया, ज्ञात कराना आवश्यक नहीं समझा, उस फर्जी पेपर को कोरबा पुलिस भी पिछले 8वर्ष में ज्ञात नहीं कर सके।

तत्कालीन कोरबा जिलाउपभोक्ता फोरम में न्याय निर्धारण कर्ताओं की नियुक्ति पर ऐसे में सवालिया निशान लगना स्वाभाविक है।

गांधी जी के आगे सामने बैठे बंद- आंख, कान और मुंह को बंद – करके रखने वाले तीन बंदरों की तरह देश में उपभोक्ता के लिए बने फोरम एवं आयोग दिख रहे हैैं।

यदि वैधानिक एंगल से जांच में उक्त पेपर गलत है (फर्जी है), तो जिसने भी उसे बनाया और उसे सही की तरह उपयोग किया है,

उसे न्याय निर्धारण में विधि का खूब ज्ञान है,
अन्यथा ज्ञान नहीं रखने वाले उन अज्ञानियों पर 8 वर्ष पूर्व ही जिम्मे – दार पुलिस के द्वारा विधिवत एफआईआर दर्ज़ हो गये होते।

बेकसूर उपभोक्ता को परेशान करके अवैध कारोबार करने वालों को रोकने में सक्षम रहने वाले,
सभी विभागों के सक्षम अधिकारी के द्वारा फर्जीवाड़े के आरोपियों को सलाखों में बंद करके जनसेवा की दिशा में कदम बढ़ाये जाने की कीमत भी समझने होंगे।

जनसेवा और स्वच्छ न्याय – व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए,
पंचशील कौशल सेवा संस्थान परिवार के सेवा प्रमुख की ओर से 11100.00 रुपए से एक लाख ग्यारह हजार तक नगद पुरस्कार देने की घोषणा जारी किया गया।

ऊपर दिये गये दण्डात्मक बिल बनाने के फर्जीवाड़े में शामिल प्रत्येक चार की गिरफ्तारी पर 11100/रू. का नगद ईनाम,
की घोषणा के साथ ही फर्जीवाड़े में शामिल उनके लगभग 40 सहयोगियों पर समाज सेवी संस्था प्रमुख का पूरी नजर है।

ऊपर दर्शित फर्जीवाड़े पेपर के बनाने वालों के अवैध कारोबार को रोकने वाले की कार्य-कुशलता एवं ईमानदारी पर 26 जनवरी 2021 के गणतंत्र दिवस समारोह में पंचशील कौशल सर्वोच्च सेवा सम्मान से सम्मानित करने की घोषणा से समाज सेवी संगठनों में अत्यन्त खुशी की लहर है।

फर्जी पेपर बनने से प्रभावित

प्रेषक –  पूर्व प्रदेश अध्यक्ष
पंचशील कौशल सेवा संस्थान,
संपादक- पंचशील जनमत
सुनंदा देवी केशरवानी, कोरबा