नई दिल्ली|

आतंक का आका पाकिस्तान भले ही भारत को बदनाम करने की लाख कोशिशें कर ले, मगर उसकी नापाक हरकतों से दुनिया वाकिफ हो ही जाती है। कराची में चीनी वाणिज्य दूतावास में हुए हमले में पाकिस्तान, भारत को फंसाने की साजिश रच रहा था, मगर वह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाया है। दरअसल, नवंबर 2018 में कराची स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले से संबंधित एक मामले में भारत की कथित ‘भूमिका’ को साबित करने में पाकिस्तान विफल रहा है। बता दें कि इस अटैक में चार लोग मारे गए थे।

आतंकवाद विरोधी अदालत (एटीसी) पाकिस्तान ने 26 मई को कराची में चीनी वाणिज्य दूतावास पर हमले में विद्रोही समूह बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के संदिग्ध सदस्यों के खिलाफ गवाह पेश करने में अभियोजन की विफलता पर नाराजगी व्यक्त की। बता दें कि इसी संगठन पर कराची में चीन के वाणिज्यिक दूतावास पर हमले के आरोप भी लगे हैं।

द न्यूज इंटरनेशनल ने रिपोर्ट किया कि दर्ज चार्जशीट के अनुसार, आरोप है कि पाकिस्तान और चीन के बीच संबंधों को नुकसान पहुंचाने और चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट को बाधित करने के लिए भारत के रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी रॉ के साथ मिलकर विद्रोही समूह बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) द्वारा हमला किया गया था।

एटीसी-सातवीं जज ने मामले के जांच अधिकारी (आईओ) को आदेश दिया कि शिकायतकर्ता की 7 जुलाई को अदालत कक्ष में उपस्थिति सुनिश्चित की जाए क्योंकि वह सम्मन जारी होने के बावजूद चार पिछली सुनवाई में पेश नहीं हुआ है। कोर्ट ने इसी साल जनवरी में पांच लोगों पर अपराधियों को हथियार, ठिकाने और नकदी मुहैया कराने का दोषी ठहराया था। भारी हथियारों से लैस तीन आतंकवादियों ने 23 नवंबर, 2018 को क्लिफ्टन स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास पर हमले को अंजाम दिया था।