नई दिल्ली। देश एक ओर कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है तो दूसरी ओर वायरस से बचने के एक उपाय कोरोना वैक्सीन की कमी ने मुश्किलें बढ़ा दी है। भारत में इनदिनों वैक्सीन निर्माण पर बड़ा असर पड़ा है। इस समय जबकि भारतीय कंपनियां वैक्सीन उत्पादन की रफ्तार तेज कर देश और दुनियाभर में इसकी उपलब्धता बढ़ाने के प्रयास में जुटी हैं, अमेरिका व यूरोपीय देशों की आत्मकेंद्रित सोच ने इनकी राह में अड़चनें पैदा कर दी हैं। उन्होंने वैक्सीन निर्माण के लिए जरूरी कच्चे माल के निर्यात पर रोक लगा दी है। इसके कारण भारतीय कंपनियों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
क्यों है अहम
किसी भी वैक्सीन के निर्माण में खास एडजुवैंट का इस्तेमाल किया गया है। अगर एडजुवैंट में बदलाव किया गया तो नए सिरे से वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल की शुरुआत करनी होगी। उसके प्रयोग के लिए भी फिर से अनुमति लेनी होगी। वैक्सीन उत्पादकों ने फिल्टर व बैग जैसी सामग्री के लिए तो नई आपूर्ति शृंखला तैयार
कर ली, लेकिन एडजुवैंट के आपूर्तिकर्ता पुराने ही रहे।
कोवैक्स कार्यक्रम भी हो रहा प्रभावित
पिछले दिनों सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने इशारा किया था कि एडजुवैंट जैसे कच्चे माल की आपूर्ति नहीं होने के कारण कोवैक्स कार्यक्रम भी प्रभावित हो रहा है। सीरम
इंस्टीट्यूट संयुक्त राष्ट्र के कोवैक्स कार्यक्रम के लिए कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है। कार्यक्रम के तहत 145 जरूरतमंद देशों को वैक्सीन की 30 करोड़ खुराक दी जानी है।