कोटा। महाशिवरात्रि के इस विशेष अवसर पर रतनपुर स्थित बूढ़ा महादेव मंदिर में इस रूप का दर्शन करने भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है। यहां भक्त दूर-दूर से बाबा के दर्शन करने के लिए आते है। महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त बड़ी श्रध्दा भक्ती के साथ पूजा-पाठ कर व्रत रखते है। शिव दर्शन से आपका रोम-रोम शिवमय हो जायेगा। मां महामाया की नगरी रतनपुर जिसे लहुरीकाषी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर रामटेकरी के ठीक नीचे स्थापित है बूढ़ा महादेव का मंदिर। इस मंदिर को वृधेश्वर नाथ के नाम से भी पुकारा और जाना जाता है।कहते है कि बूढ़ा महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वंयभू है और यदि इसे गौर से देखें तो भगवान शिव की जटा जिस प्रकार फैली होती है ठीक उसी प्रकार दिखलाई देता है।
इस शिवलिंग के तल पर स्थित जल देखने पर ऐसा प्रतीत होता है मानों पुरी आकाशगंगा या ब्रम्हांण्ड इसमें समाया हुआ हो। इस शिवलिंग में जितना भी जल अर्पित कर ले उसका जल उपर नहीं आता और शिवलिंग के भीतर के जल का तल एक सा बना रहता है। इस शिवलिंग पर चढ़ाया जल कहां जाता है यह आदिकाल से आज तक इस रहस्य को कोई ना जान सका। सावन के पवित्र माह में भगवान शिव के इस अदभूत शिवलिंग पर जलाभिशेक करने हजारों की तादात में श्रध्दालूओं की भीड़ उमड़ती है।