जर्जर आंगनबाड़ी भवन में कभी भी हो सकती है बड़ी दुर्घटना, जिम्मेदारों को नही है कोई परवाह

कोरबा (पाली)। महिला एवं बाल विकास पाली परियोजना अंतर्गत एक अत्यंत जर्जर भवन में आँगनबाड़ी केंद्र संचालित है जहां दिन- दुनिया से बेखबर नौनिहाल अक्षरज्ञान सीखने जाते है लेकिन उन नन्हे- मुन्हो को क्या पता कि जिस छत के नीचे वे बैठकर अक्षरज्ञान सीखते है, जिम्मेदारों के गैरजिम्मेदाराना रवैया से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
पाली परियोजना के अंतर्गत ग्राम लाफा के आश्रित ग्राम छपराहीपारा में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक- 09 भवन जहां लगभग दो दर्जन बच्चों की दर्ज संख्या है यहां की हालत को भीतर से देखने मात्र से जेहन कांप जाती है, यह सोचकर कि दयनीय रूप से जर्जर और खस्ताहाल भवन में छोटे- छोटे बच्चों को अक्षरज्ञान सीखने आखिर कैसे बिना किसी परवाह के बुलाया जाता है।
आंगनबाड़ी भवन के भीतर फर्श कई जगह से टूट- फुट गए है वहीं छत व दीवारों की प्लास्टर भी उखड़ने लगी है तथा अनेकों जगह बड़ी- बड़ी दरारें आने के साथ बारिश के कारण भवन में सभी ओर सीलन भी आ चुकी है ऐसे में पूरी तरह क्षतिग्रस्त भवन में कभी भी और किसी भी प्रकार के बड़ी दुर्घटना होने से इंकार नही किया जा सकता। दुर्भाग्य है कि महिला बाल विकास पाली को हर माह लाखों का आबंटन मिलने के बाद भी संबंधित अधिकारी- कर्मचारी इस ओर से अब तक अपनी आंखें मूंदे बैठे है। क्या उन्हें किसी दुर्घटना का इंतजार है…? या फिर नौनिहाल बच्चे उनके लिए कोई मायने नही रखते। रेडी टू ईट सहित संचालित विभिन्न योजनाओं की आड़ में अपना- अपना झोली भरने वाले पाली परियोजना के अधिकारी- कर्मचारियों को चिंता है तो मात्र यह कि अलग- अलग रूप से उन तक प्रतिमाह कितना कमीशन पहुँच रहा है और इस प्रकार बच्चों के निवाले पर डांका डाल खुद का पेट भरने वाले नौकरशाहों को उन बच्चो के जान की भी परवाह नही जिनके बदौलत इनके पांचों उंगली घी में डूबे रहते है। इस विषय पर यहां के ग्रामीणों का कहना है कि अत्यंत जर्जर भवन में आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन किये जाने से हर समय बच्चों के सिर पर खतरा मंडरा रहा है जिस ओर विभाग का ध्यान नही है। या तो उक्त आंगनबाड़ी भवन का पूर्ण रूप से मरम्मत किया जाए या फिर ढहाकर किसी अन्य भवन में आंगनबाड़ी संचालित किया जाए यही बच्चों के लिए सुरक्षित उपाय रहेगा। नौनिहालों के अभिभावकों ने भी जर्जर भवन को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है तथा क्षतिग्रस्त भवन में अपने- अपने बच्चों को नही भेजने का भी फैसला लिया है।