एक ऐसा गांव जहां मगरमच्छ से होता है हर रोज़ सामना. इस गांव के बच्चे-बच्चे को पता है खतरनाक मगर से लड़ने का हुनर, उनकी हिम्मत इतनी है कि वो मगरमच्छ के मुंहसे छीन लेते है पानी की हर बूंद. उसके खतरे से वाकिफ होते हुए भी गांव के लोग उस ठिकाने तक पहुंच ही जाते हैं जहां होता है जानलेवा जानवर का बसेरा.

ऐसा नहीं है कि यहां खतरा मोल लेने में सभी वो बहुत मज़ा आता है. या मगरमच्छ से दो-दो हाथ करना इनका शौक है. बल्कि ये तो मजबूर हैं. घर परिवार की चिंता और उनकी जान बचाने के लिए गांव के बच्चे और औरतें उस नदी के मुहाने तक जाने को मजबूर हैं जहां रहते हैं सैकड़ों खतरनाक मगरमच्छ.

जानलेवा जीवन जीने को मजबूर एक गांव
चंबल घाटी में बसे राजघाट गांव में पानी की बूंद के लिए तरस जाते हैं लोग. खतरनाक मगरमच्छों से भरी एक नदी के अलावा यहां के लोगों के पास पानी का कोई और सोर्स है ही नहीं. आए दिन यहां किसी न किसी गांववाले की पानी लाने के दौरान मौत की घटना सामने आती है. दरअसल जिस नदी पर लोग पानी के लिए निर्भर हैं उसमें सैकड़ों मगरमच्छों का झुंड रहता है. जैसे ही कोई इंसान पानी भरने के लिए नदी के भीतर जाता है मगर उसे अपने जबड़ों में कस लेता है. आंखों के सामने अपनों को शिकार बनते देखने के बावजूद अगले दिन फिर औरतें बच्चों के साथ इस नदी पर आ ही जाते हैं. करें भी क्या, यहां आने पर मगरमच्छ जान ले लेता है और पानी नहीं मिलने पर भूख-प्यास से जान पर बन आएगी. लिहाज़ा नदी पर पानी भरने के दौरान अब चौकीदारी होती है जैसे ही मगर दिखे तो उसे लाठी-डंडे और कुल्हाड़ी से मारकर दूर हटाने के लिए नौजवानों की ड्यूटी लगती है.

एक ऐसा गांव जहां मगरमच्छ से होता है हर रोज़ सामना. इस गांव के बच्चे-बच्चे को पता है खतरनाक मगर से लड़ने का हुनर, उनकी हिम्मत इतनी है कि वो मगरमच्छ के मुंहसे छीन लेते है पानी की हर बूंद. उसके खतरे से वाकिफ होते हुए भी गांव के लोग उस ठिकाने तक पहुंच ही जाते हैं जहां होता है जानलेवा जानवर का बसेरा.

ऐसा नहीं है कि यहां खतरा मोल लेने में सभी वो बहुत मज़ा आता है. या मगरमच्छ से दो-दो हाथ करना इनका शौक है. बल्कि ये तो मजबूर हैं. घर परिवार की चिंता और उनकी जान बचाने के लिए गांव के बच्चे और औरतें उस नदी के मुहाने तक जाने को मजबूर हैं जहां रहते हैं सैकड़ों खतरनाक मगरमच्छ.

जानलेवा जीवन जीने को मजबूर एक गांव
चंबल घाटी में बसे राजघाट गांव में पानी की बूंद के लिए तरस जाते हैं लोग. खतरनाक मगरमच्छों से भरी एक नदी के अलावा यहां के लोगों के पास पानी का कोई और सोर्स है ही नहीं. आए दिन यहां किसी न किसी गांववाले की पानी लाने के दौरान मौत की घटना सामने आती है. दरअसल जिस नदी पर लोग पानी के लिए निर्भर हैं उसमें सैकड़ों मगरमच्छों का झुंड रहता है. जैसे ही कोई इंसान पानी भरने के लिए नदी के भीतर जाता है मगर उसे अपने जबड़ों में कस लेता है. आंखों के सामने अपनों को शिकार बनते देखने के बावजूद अगले दिन फिर औरतें बच्चों के साथ इस नदी पर आ ही जाते हैं. करें भी क्या, यहां आने पर मगरमच्छ जान ले लेता है और पानी नहीं मिलने पर भूख-प्यास से जान पर बन आएगी. लिहाज़ा नदी पर पानी भरने के दौरान अब चौकीदारी होती है जैसे ही मगर दिखे तो उसे लाठी-डंडे और कुल्हाड़ी से मारकर दूर हटाने के लिए नौजवानों की ड्यूटी लगती है.

हुक्मरान भी बने हैं अनजान
बदहाली की ये तस्वीर जिस गांव की है उस गांव से हर कोई अनजान हो ऐसा बिल्कुल नहीं है. राजस्थान के धौलपुर जिले में एमपी बॉर्डर पर बसे राजघाट गांव में बॉलीवुड की कई फिल्में शूट हुईं हैं. जहां बिहड़ और चंबल नदी को आपने भी देखा होगा. वहीं चंबल नदी जिसमें मगरमच्छ भरे पड़े हैं और यहां के लोग आए दिन मगरमच्छ का निवाला बन जाते हैं. सबसे अजीब बात तो ये है कि धौलपुर नगर पालिका में शामिल है. फिर भी प्रशासन को यहां के लोगों की कोई फिक्र नहीं है. हां मरने वालों को मुआवज़ा देकर अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर लेने में प्रशासन बहुत तेज़ी दिखाता है

बदहाली की ये तस्वीर जिस गांव की है उस गांव से हर कोई अनजान हो ऐसा बिल्कुल नहीं है. राजस्थान के धौलपुर जिले में एमपी बॉर्डर पर बसे राजघाट गांव में बॉलीवुड की कई फिल्में शूट हुईं हैं. जहां बिहड़ और चंबल नदी को आपने भी देखा होगा. वहीं चंबल नदी जिसमें मगरमच्छ भरे पड़े हैं और यहां के लोग आए दिन मगरमच्छ का निवाला बन जाते हैं. सबसे अजीब बात तो ये है कि धौलपुर नगर पालिका में शामिल है. फिर भी प्रशासन को यहां के लोगों की कोई फिक्र नहीं है. हां मरने वालों को मुआवज़ा देकर अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर लेने में प्रशासन बहुत तेज़ी दिखाता है