Bhopal. एक विभाग में संचालक के पद पर अपने चहेते को बैठाने में प्रमुख सचिव कामयाब हो ही गए, जबकि मंत्री ने इसका विरोध किया था। मजेदार बात यह है कि संचालक के रिक्त पद पर एक सप्ताह पहले ही कार्यालय प्रमुख को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। विभाग के प्रमुख सचिव ने मंत्री को एक प्रस्ताव भेजकर अपने एक प्रिय पात्र अफसर को सौंपने की अनुशंसा की थी, लेकिन मंत्री ने आपत्ति लगाकर वापस भेज दिया। फिर क्या था… प्रमुख सचिव ने फाइल मुख्य सचिव को भेजकर अनुमति ले ली। सुना है कि इसके बाद मंत्री और प्रमुख सचिव के बीच तनातनी भी हुई। अब यह मामला ‘सरकार’ के संज्ञान में लाया गया है।

2 महीने पहले कैबिनेट ने इस विभाग के मुख्यालय में संचालक के 2 पद की स्वीकृति दी थी। तब कयास लगाए जा रहे थे कि इसमें से एक पद पर आईएएस अफसर की नियुक्ति की जाएगी, लेकिन ऐसा अब तक नहीं हो सका। वजह यह है कि संचालक के नए पद को लेकर भर्ती नियम बनाए गए, लेकिन अधिसूचना जारी नहीं की। इसका फायदा उठाकर चहेते को उपकृत किया गया। फिर यह पद मलाईदार भी तो है…

बड़े नेता की पत्नी का विभाग में दखल

शिवराज सरकार में दो विभाग संभाल रहे एक मंत्री इन दिनों परेशान हैं, लेकिन वे अपनी परेशानी किसी से साझा भी नहीं कर पा रहे हैं। वजह है एक बड़े नेता की पत्नी का एक विभाग में दखल। नेताजी के घर से इस विभाग के शीर्ष अफसर को सीधे निर्देश आते हैं। चर्चा यहां तक भी है कि नेताजी की पत्नी माह में एक-दो बार विभाग के प्रदेश मुख्यालय भी जाती हैं।

विभाग के एक अफसर का कहना है कि मंत्रीजी की इस विभाग में ज्यादा रुचि नहीं है, लिहाजा इसका फायदा उठाने का अवसर नेताजी की पत्नी को मिल गया। हाल ही में विभाग ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए एक पॉलिसी लागू की है। कहा जा रहा है कि मैडम की सैद्धांतिक सहमति के बाद ही इसे कैबिनेट में लाया गया था। सुना है कि अब मंत्रीजी की पत्नी ने भी विभाग में दखल देना शुरू कर दिया है।

बड़े नेता के लिए फाइल पर लगे पंख

बीजेपी के एक बड़े नेता ने मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए भोपाल को अपना स्थाई ठिकाना बना लिया है। उनके लिए एक सरकारी बंगला विंध्य के एक विधायक के नाम पर अलॉट किया गया। जो संगठन में भी पदाधिकारी हैं। खास बात यह है कि अलॉटमेंट की प्रक्रिया इतनी तेजी से हुई… मानो फाइल पर पंख लगा दिए गए हों। आवेदन के 24 घंटे में आदेश जारी…। सुना है कि इस बंगले में जोर-शोर से निर्माण कार्य चल रहा है। इसकी मॉनिटरिंग कोई अफसर नहीं, बल्कि प्रदेश संगठन का एक पदाधिकारी कर रहा है।

दलित बनाम सवर्ण में फंसा विभाग

एक विभाग में दलित बनाम सवर्ण हो गया है। वजह है कि सभी महत्वपूर्ण पदों पर अनुसूचित जाति के अफसरों का बैठना। हाल ही में सचिव की संविदा नियुक्ति की गई, उसमें भी इस वर्ग के रिटायर अफसर को उपकृत कर दिया गया। इस विभाग प्रमुख से लेकर उनके नीचे सभी अधिकारी एक ही वर्ग के होने के कारण सवर्ण अफसरों में खासी नाराजगी है। उन्होंने अपनी परेशानी मंत्री तक पहुंचा दी है। मंत्री सवर्ण हैं तो उम्मीद थी उनकी बात सुनी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मामला वोट बैंक से जुड़ा होने के कारण वे हाथ नहीं डालना चाहते।

स्टार्टअप के चक्कर में घनचक्कर हुए अफसर

संत रविदास जंयती को इस साल सरकार ने सरकारी आयोजन बना दिया। दलित वोट को साधने के लिए बीजेपी के इस एजेंडे को सरकार ने पूरे प्रदेश में आयोजन किए। भोपाल में प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम हुआ। सरकार ने इस वर्ग के लिए क्या किया? योजनाओं से कितना लाभ हुआ? यह सब कार्यक्रम में बताने के निर्देश ‘सरकार’ ने एक महीने पहले बैठक में दिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।

एमएसएमई विभाग के अफसरों को जिम्मेदारी दी गई थी कि किसी एक दलित युवा को इस कार्यक्रम में लाना, जिसने सरकारी योजना के तहत स्टार्टअप किया हो। अफसर पूरे प्रदेश में ऐसे युवा को तलाशते रहे, लेकिन कोई नहीं मिला। विभाग के अफसर समझ गए कि सरकारी योजनाओं का लाभ दलितों तक नहीं पहुंच रहा है। जबकि सरकार की प्राथमिकता में किसान, ओबीसी के अलावा दलित हैं।

अब अफसर आनन-फानन में दलित युवाओं को स्वरोजगार देने के लिए आवेदनों पर फाइल तैयार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने भी घोषणा कर दी- दलित युवाओं को अपने पैर पर खड़ा करने के लिए सरकार लोन देगी और ग्लोबल स्किल पार्क में विशेष रूप से ट्रेनिंग।

और अंत में… साहब के बंगले में 30-30 हजार की लाइट

एक महत्वपूर्ण विभाग के अपर मुख्य सचिव ने हाल ही में बंगला अलॉट कराया है। इसमें पीडब्लूडी नए सिरे से मरम्मत का काम कर रहा है। सुना है कि साहब के बंगले में 30-30 हजार रुपए की लाइटें लगाई जा रही हैं। इसकी भनक एक दूसरे समकक्ष अफसर को लगी तो उन्होंने पीडब्लूडी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि उनके बंगले में भी वही लाइटें लगाए।