बिलासपुर / राष्ट्रीय सेवा योजना, डी.पी.विप्र महाविद्यालय की दोनों इकाइयों द्वारा “कुष्ठ रोग निवारण दिवस” उपलक्ष्य में रेलवे के मारिमाई मंदिर के निकटस्थ क्षेत्र में निवासरत सामाजिकता से दूर एकांत जीवन बसर करने वाले कुष्ठ रोगियों के निवास क्षेत्र में जाकर उनके बीच मनाया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत उन एकांतवासियों के दुख-सुख बाँटते हुए वस्त्र वितरण किया गया। जिन वस्त्रों को पाकर उनके चेहरे खिल गए साथ ही उन्होंने खूब आशीर्वाद भी प्रदान किया।साथ ही स्वयंसेवकों इस कार्यक्रम के माध्यम से महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाइयों का यह उद्देश्य है कि हमें बीमारी से सुरक्षित रहकर बीमारी को दूर करना है,बीमारों को नहीं। इस वस्त्रदान कार्यक्रम के माध्यम से समाज को कुष्ठरोग से निवारण हेतु जागरूक करने का कार्य किया गया। कुष्ठबस्ती में निवासरत लोगों को स्वच्छता के विषय में विशेष सावधानियां समझाते हुए सुरक्षित रहने हेतु जागरूकता कार्यक्रम के साथ ही वस्त्रदान तथा खाद्य सामग्री का वितरण कार्यक्रम सम्पन्न किया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सेवा योजना,डी.पी.विप्र महाविद्यालय के कार्यक्रम अधिकारी प्रो.रीना ताम्रकार एवं कार्यक्रम अधिकारी प्रो.यूपेश कुमार तथा श्री उमाशंकर बंजारे,हेल्पिंग हैंड विथ डिसेबल्ड सेवा समिति,बिलासपुर के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। जिसमें प्रो.गेंदलाल बंजारे,स्वयंसेविका रीना यादव,सभ्या श्रीवास,दीपा सेन,स्वयंसेवक आकाश सोनी,चितरंजन राठिया,विभांशु अवस्थी,श्रेयांश दीक्षित,विनिष विश्वकर्मा आदि द्वारा अपने घरों से वस्त्र लाकर वस्त्रदान में अभूतपूर्व भूमिका निर्वहन की गई।
कुष्ठ रोग के लक्षण और इलाज
कुष्ठ रोग या कोढ़ की बीमारी ठीक हो सकती है। यह हर व्यक्ति की कंडीशन पर निर्भर करता है कि उसे ठीक होने में कितना वक्त लगेगा या उसकी बीमारी लाइलाज होने के स्तर पर पहुंच चुकी है। यहां जानते हैं, इस बीमारी से जुड़ी कुछ रोचक बातें…
हमारे समाज में लंबे समय तक कोढ़ की बीमारी को शाप या भगवान द्वारा दिया गया दंड माना जाता रहा है। लेकिन ऐसा है नहीं… भले ही उस काल में ऐसा रहा हो लेकिन आज के समय में कुष्ठ रोग लाइफस्टाइल और पोषण की कमी से जुड़ी एक समस्या है। कोढ़ की बीमारी उन लोगों पर जल्दी हावी हो जाती है, जिनके शरीर में पोषण की कमी होती है…
लेप्रसी को कैसे जानें?
-लेप्रसी एक ऐसी बीमारी है जो हवा के जरिए फैलती है। लेप्रसी को हैनसेन रोग भी कहा जाता है। यह बीमारी बहुत धीमी रफ्तार से ग्रो होनेवाले बैक्टीरिया से फैलती है इसलिए पूरी तरह इसके लक्षण सामने आने में कई बार 4 से 5 साल का समय भी लग जाता है। जिस बैक्टीरिया के कारण यह बीमारी फैलती है, उसे माइक्रोबैक्टीरियम लेप्रै कहा जाता है। इसी कारण इस बीमारी का इंग्लिश नेम लेप्रसी रखा गया।
-लेप्रसी, कुष्ठ रोग या कोढ़। यह एक ऐसी बीमारी है जिस पर आज दुनिया के अधिकतर देश कंट्रोल कर चुके हैं। लेकिन केन्या जैसे कुछ देशों में आज भी लेप्रसी भयावह स्थिति में देखने को मिलती है। एक वक्त में यह दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी मानी जाती थी। लेकिन अब इस दिशा में मेडिकली कई सावधानियां और वैक्सीन्स हैं, जो बॉडी को इससे बचाती हैं।
लेप्रसी यानी कोढ़ एक ऐसी बीमारी है जो हवा में मौजूद बैक्टीरिया के जरिए फैलती है। हवा में ये बैक्टीरिया किसी बीमार व्यक्ति से ही आते हैं। इसलिए इसे संक्रामक रोग भी कहते हैं। यानी यह संक्रमण या कहिए कि सांस के जरिए फैलती है। लेकिन यह छुआछूत की बीमारी बिल्कुल नहीं है। अगर आप इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति से हाथ मिलाएंगे या उसे छू लेंगे तो आपको यह बीमारी बिल्कुल नहीं होगी।
– लेकिन अगर उसके खांसने, छींकने से लेप्रै बैक्टीरिया हवा में मौजूद नमी के साथ ट्यूनिंग करके खुद को डिवेलप कर लेता है और आप उस हवा में सांस लेकर नमी के उन कणों को अपने अंदर ले लेते हैं तो इस तरह की स्थितियां बन जाती हैं कि आप इस बीमारी से संक्रमित हो जाएं।
ये सावधानियां जरूर बरतें
-अगर आपके घर में या आस-पास कोई इस तरह का व्यक्ति है, जिसकी आंखों में लगातार पानी आ रहा हो, हाथ पैर में छाले हो रहे हों, शरीर के कुछ हिस्से में गर्म-ठंडे का अहसास नहीं हो रहा हो या शरीर में सुन्नता बढ़ रही हो।
– ऐसी स्थिति में बिना देरी के तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर लेप्रसी या कुष्ठ रोग का पता प्रारंभिक अवस्था में ही चल जाता है और इसका सही तरीके से इलाज कराना शुरू कर दिया जाता है तो 6 महीने से लेकर डेढ़ साल के अंदर इस बीमारी को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है।
अपने इलाज के लिए जरूरी नहीं है कि आप उस डॉक्टर का ही चुनाव करें, जो आपकी बीमारी को दूर कर सके।
– बीमारी को लेकर अपनी जानकारी बढ़ाएं और बीमारी से संबंधित मन में उठनेवाली हर शंका को अपने डॉक्टर से सवाल पूछकर दूर करें।