शिवरतन शर्मा ने कहा कि अरबी में शराब का अर्थ है ख़राब पानी. आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने अरबी को हल्बी समझ लिया और कहा कि ग़लत अर्थ बता रहे हैं. ऐसा नहीं है. हल्बी में ऐसा नहीं कहते हैं. मैं वहीं से आता हूँ. हल्बी में ऐसा कोई शब्द नहीं है और ऐसा कोई अर्थ नहीं है. यह अपमान है.
सदन में इसे लेकर गहमागहमी हुई. बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि शिवरतन शर्मा ने अरबी का अर्थ कहा है, हल्बी का नही.. लेकिन मंत्री कवासी को फिर हल्बी सुनाई दे गया. स्पीकर डॉक्टर चरणदास महंत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ग़ालिब शराब पीने दे मस्जिद में बैठकर या मुझे कोई ऐसी जगह बता जहां ख़ुदा ना हो…इस पर क्या कहेंगे आप?
शिवरतन शर्मा ने कहा कि नशे की वजह से राज्य में अपराध बढ़ा है. कांग्रेस ने जब घोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था तब ख़ासकर महिलाओं ने सोचा था कि अब कलह दूर होगी. झगड़े ख़त्म होंगे. आर्थिक कमजोरी दूर होगी. इससे पहले कई राज्यों में दलों ने चुनावी घोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था. जनता का समर्थन मिला और सरकार बनते ही वादा पूरा किया.
लेकिन छत्तीसगढ़ में ढाई साल बीत जाने के बाद भी वादा पूरा किया गया. छत्तीसगढ़ में 898 हत्या के प्रयास हुये है, दस हजार से ज़्यादा आत्महत्या हुई है. हर अपराध की पृष्ठभूमि में नशा है. पूरे प्रदेश में सरकारी संरक्षण में अवैध शराब की सप्लाई की जा रही है. प्रदेश में स्थिति क्या बन गई है. सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का, ये कहावत चरितार्थ हो रही है.
सरकार का लक्ष्य साल में 5200 करोड़ रुपये अर्जित करना है. मेरा आरोप है कि सरकार के वैध-अवैध कमाई का सबसे बड़ा ज़रिया शराब है. मंत्री अमरजीत भगत से जब शराब को लेकर पत्रकार सवाल पूछते हैं तो इन्हें सुनाई नहीं देता. आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ उड़ता छत्तीसगढ़ बन जायेगा.
मंत्री मो. अकबर ने कहा कि शिवरतन शर्मा ने घोषणा पत्र से बातचीत शुरू की थी, ज़रा अपना घोषणा पत्र भी देख लेते. हर आदिवासी परिवार को गाय और एक नौकरी देने का वादा किया था, पांच हार्स पावर पंप फ़्री, बेरोज़गार युवाओं को भत्ता. दिल्ली की सरकार बनी तब कहा गया कि विदेशों से काला धन लाएंगे, 15 लाख सभी खातों में भेजे जाएँगे. कम से कम घोषणा पत्र की बात ना करे. शराब को ख़राब पानी कह दिया. छत्तीसगढ़ में आदिवासी बड़ी तादात में है.
आदिवासी इलाक़ों में राज्यपाल की प्रदत्त शक्तियों के तहत शराब की अनुमति दी गई है, और सदन में इसे ख़राब पानी कहा जा रहा है. सदन में आपको माफ़ी मांगना चाहिये.