तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा के बाद दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों के पास किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर शुक्रवार को सुबह मिठाइयां बांटी गई।
बड़ी बात सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव की जयंती थी जिसे सिख समुदाय पूरी श्रद्धा और जोश से मनाता है। इस अवसर पर पीएम मोदी की घोषणा से किसानों के लिए काफी राहत की बात है यही कारण है कि किसान गुरु परब के साथ साथ अपनी जीत का जश्न भी मनाया।
कांग्रेस खड़ी है किसानों के साथ-राहुल
प्रधानमंत्री द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे ‘अन्याय और अहंकारी सरकार के खिलाफ जीत’ करार दिया है। राहुल गांधी ने कहा,
“अन्याय के खिलाफ जीत की बधाई, देश के किसानों ने अहंकारी सरकार को सत्याग्रह के माध्यम से झुकने के लिए मजबूर किया है।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस बात से खुश है कि कृषि कानून वापस ले लिए गए हैं , किसानों के समर्थन में हमेशा कड़ी रही। और काले कनून की वापसी की मांग पर अडिग रही। उन्होंने कहा, “लोकतांत्रिक विरोधों से जो हासिल नहीं किया जा सकता है, वह आसन्न चुनावों के डर से हासिल किया जा सकता है। वैसे भी, यह किसानों और कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी जीत है जो कृषि कानूनों के विरोध में अडिग थी।”
गांधीवादी आंदोलन ने सरकार को किया मजबूर-भूपेश
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र द्वारा वापस लिए गए तीनो कृषि कानून (Agriculture Law Repealed) पर कहा कि गांधीवादी आंदोलन ने अपनी ताकत दिखाई है और सरकार को मजबूर कर दिया,तब जाकर ही किसानों की आज जीत हुई है। उन्होंने कहा केंद्र सरकार के पास कोई रास्ता नहीं बचा तब कृषि कानूनों को वापस लिया। राहुल गांधी हमेशा नोटबंदी, लॉकडाउन और कोरोना के दूरगामी परिणामों को लेकर कहते रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी।
कृषि कानूनों को लेकर किसानो के वाजिब मांग पर भाजपा और सत्ताधारी नेताओं ने कभी आतंकवादी तो कभी पाकिस्तान समर्थक कहकर कई बार अपमान किये। केवल तीन कृषि कानूनों को वापस लेने से नहीं होगा किसानों के धान समर्थन मूल्य में खरीदने की मांग है, जिसे भी भारत सरकार यह सुनिश्चित करे। तभी ये आंदोलन खत्म माना जायेगा।
संसद में पास होने के बाद ही मानेंगे वापसी- टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने तीनों कानूनों को वापस (Agriculture Law Repealed) लेने की घोषणा की है लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कमेटी बनाने और बिजली अमेंडमेंट समेत अन्य मुद्दों पर अभी बात होनी बाकी है। फिलहाल संयुक्त मोर्चा प्रधानमंत्री की घोषणा को लेकर बातचीत कर रहा है, आगे की रणनीति जल्द तय होगी। संयुक्त किसान मोर्चा ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के निर्णय का स्वागत किया है।
किसान मोर्चा ने कहा कि उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा।
एसकेएम ने प्रधानमंत्री को यह भी याद दिलाया कि किसानों का आंदोलन न केवल तीन काले कानूनों को निरस्त करने के खिलाफ है, बल्कि सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की वैधानिक गारंटी के लिए भी है। किसानों की यह अहम मांग अभी बाकी है। SKM सभी घटनाक्रमों पर ध्यान देगा, जल्द ही अपनी बैठक करेगा और आगे के निर्णयों की घोषणा करेगा।