,पटना|

पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बिहार के स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती में नेत्रहीनों सहित शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की। अब सोमवार को इस मामले पर अगली सुनवाई होगी। इससे पहले कोर्ट ने शिक्षकों की बहाली पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी।

इस मामले पर कोर्ट जल्द सुनवाई इसलिए कर रही है क्योंकि महाधिवक्ता (एजी) ललित किशोर ने शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी के अनुरोध पर गुहार लगाई है। उन्होंने हलफनामा दायर कर कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि विकलांग उम्मीदवारों को कानून के तहत चार प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति संजय कुमार की खंडपीठ ने एजी और याचिकाकर्ता द नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड बिहार ब्रांच के वकील की दलीलें सुनीं। एजी ने कहा कि शिक्षकों की भर्ती के लिए पैनल तैयार है और इस संबंध में विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए कोर्ट की मंजूरी का इंतजार है।

ललित किशोर ने कहा, ‘सरकार नेत्रहीनों सहित शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को 4 प्रतिशत कोटा का लाभ देने के लिए तैयार है। यदि कोर्ट अनुमति देती है तो सरकार दूसरे विकल्प को भी मानने के लिए तैयार है। इसके अनुसार केस के निपटारे तक चार प्रतिशत सीटों को खाली रखा जाएगा और बाकी की 96 प्रतिशत सीटों पर उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा।’

हालांकि याचिकाकर्ताओं के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि कई आवेदक आवेदन नहीं कर पाए थे इसलिए उन्हें आवेदन करने का एक और मौका दिया जाए। इसके अलावा वकील ने रिक्तियों की संख्या, बैकलॉग को भरने के लिए उठाए गए कदमों और 1995 अधिनियम के प्रावधानों के साथ-साथ 2016 अधिनियम को लागू न करने के कारणों का विवरण जानना चाहा।

हाईकोर्ट ने साल 2019 में मुख्य सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा था। इसमें कोर्ट ने पूछा था कि किस तरह की भर्तियां हैं, अधिकारियों की वजह से कितनी भर्तियां लटकी हुई हैं, इन भर्तियों को भरने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने 1995 अधिनियम और 2016 अधिनियम के संदर्भ में भी जानकारी मांगी थी। इसके साथ ही राज्य ने अब तक इन भर्तियों को लेकर कुछ क्यों नहीं किया, इसका भी जवाब मांगा था।

बिहार में लगभग 1.25 लाख प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों की नियुक्ति होनी है, लेकिन अदालत ने इसपर रोक लगाई हुई है। शिक्षा मंत्री ने पहले भी यह कहा था कि सरकार शिक्षकों के लिए नई भर्ती प्रक्रिया को आरक्षण रोस्टर फॉर्मूला के साथ आगे बढ़ाने के लिए तैयार है, यदि अदालत इसकी अनुमति देती है।