जानिए क्या था पूरा मामला
ये केस दिल्ली के न्यू उस्मानपुर इलाके का है। एक ही मकान के दो अलग-अलग मंजिलों में रहने वाले लड़का-लड़की के बीच प्यार हुआ। ये कोरोना काल के शुरुआत का समय था। लड़के ने भरोसा दिलाया कि हालात सामान्य होने पर शादी कर लेंगे। कोरोना थोड़ा कम हुआ तो साथ में मिलना जुलना, घूमना फिरना भी शुरू हो गया। इस दौरान कई बार यौन संबंध भी बने। एक दिन लड़की ने बताया कि वो दो महीने की प्रेग्नेंट है। लेकिन लड़का अब शादी की बात से मुकर गया। लड़की ने गोली खाकर पहले गर्भपात कर लिया और फिर परिवार को पूरी बात बताई। परिवार ने लड़के के खिलाफ रेप का केस दर्ज करा दिया। लड़का गिरफ्तार हो गया।
अदालत ने केस पर क्या कहा?
पुलिस ने केस में चार्जशीट दाखिल की। फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज ने रेप का आरोप तय करने के लिए मामले की सुनवाई शुरू की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने लड़के को रेप के आरोप से बरी कर दिया। यानी आरोप तय करने की स्टेज में ही लड़का बरी हो गया। फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज ने अपने फैसले में कहा कि आपसी सहमति से बने शारीरिक संबंधों को रेप की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। माना जा रहा है कि इस केस का फैसला ऐसे कई दूसरे मामलों के लिए भी नजीर का काम करेगा।